प्रवचन
ओशो —हर चक्र की अपनी नींद
सहस्त्रार को छोड़ कर प्रत्येक चक्र की अपनी नींद है। सातवें चक्र में बोध समग्र होता है। यह विशुद्ध जागरण की अवस्था है। इसीलिए कृष्ण गीता में कहते है कि योगी सोता नहीं।
ओशो – तीसरी आँख : स्वप्न या सत्य?
ध्यान के अंतर्यात्रा पर जो भी चल पड़ता है वह अक्सर, अध्यात्म-जगत के गुह्म विज्ञान से बेहद आकर्षित हो जाता है। इससे पहले कि उसके पैर पार्थिव शरीर की भूमि में दृढ़ता से जम जाएं, वह तीसरे-चौथे-पांचवें सूक्ष्म शरीरों की खोजबीन करने लगता है। सुदूर आकाश के ये रहस्यपूर्ण टिमटिमाते सितारे उसे बुलाने लगते है। इन सितारों में सर्वाधिक आकर्षक सितारा अगर कोई मालूम होता है तो वह है: ‘’तीसरी आँख का।‘’
ओशो — विज्ञान भैरव तंत्र
विज्ञान भैरव तंत्र का जगत बौद्धिक नहीं है। वह दार्शनिक भी नहीं है। तंत्र शब्द का अर्थ है। विधि, उपाय, मार्ग। इस लिए यह एक वैज्ञानिक ग्रंथ है। विज्ञान ‘’क्यों‘’ की नहीं, ‘’कैसे’’ की फिक्र करता है। दर्शन और विज्ञान में यही बुनियादी भेद है। दर्शन पूछता है। यह अस्तित्व क्यों है? विज्ञान पूछता है, यह आस्तित्व कैसे है? जब तुम कैसे का प्रश्न पूछते हो, तब उपाय, विधि, महत्वपूर्ण हो जाती है। तब सिद्धांत व्यर्थ हो जाती है। अनुभव केंद्र बन जाता है।
अपनी नींद में ध्यान कैसे करें
धीरे-धीरे ध्यान तुम्हारे संपूर्ण जीवन में व्याप्त हो जाना चाहिए। यहां तक की सोने के लिए जाते समय भी।
तीसरी आँख को विकसित करने लिए - ध्यान
(1) साक्षी को खोजना— ओशो
शिव ने कहा: होश को दोनों भौहों के मध्य में लाओ और मन को विचार के समक्ष आने दो। देह को पैर से सिर तक प्राण तत्व से भर जाने दो, ओर वहां वह प्रकाश की भांति बरस जाए।
वह विधि पाइथागोरस को दी गई थी। पाइथागोरस वह विधि लेकर ग्रीस गया। और वास्तव में यह पश्चिम में सारे रहस्यवाद का उद्गम बन गया। स्त्रोत बन गया। वह पश्चिम में पूरे रहस्यवाद का जनक है।
तीसरी आँख सूक्ष्म शरीर का अंग है - ओशो
पहले तो दो बातें समझ लेने की है।
- एक, तीसरी आँख की ऊर्जा वही है जो ऊर्जा दो सामान्य आंखों को चलाती है। ऊर्जा वही है, सिर्फ वह नई दिशा में नए केंद्र की और गति करने लगती है। तीसरी आँख है; लेकिन निष्क्रिय है। और जब तक सामान्य आंखे देखना बंद नहीं करती, तीसरी आँख सक्रिय नहीं हो सकती है। देख नहीं सकती। उसी उर्जा को यहां भी बहना है। जब उर्जा सामान्य आँखो में बहना बंद कर देती है तो वह तीसरी आँख में बहने लगती है। और जब ऊर्जा तीसरी आँख में बहती है तो सामान्य आंखों में देखना बंद कर देती है। अब उनके रहते हुए भी तुम उनके द्वारा कुछ नहीं देखते हो। जो ऊर्जा उनमें बहती थ