प्राणायाम
प्रसव के बाद करे अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए और उत्कृष्ट साँस लेने बहुत ही अच्छा प्राणायाम हैं। यह प्रसव के बाद करने के लिए अच्छा योग आसन है। यह प्राणायाम दिल की रुकावटों (heart blockages) को दूर करता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को भी स्वाभाविक रूप से दूर करता है।
- Read more about प्रसव के बाद करे अनुलोम विलोम प्राणायाम
- Log in to post comments
कपालभाति प्राणायाम फॉर हेल्थी लिवर
कपालभाति प्राणायाम एक साँस लेने का व्यायाम है जो लीवर में होने वाले रोगों जैसे- लिवर सिरोसिस, पीलिया, हेपेटाइटिस और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक होता है। कपालभाति प्राणायाम योग जो लीवर को उत्तेजित करता है और विभिन्न प्रकार की लीवर की समस्याओं को प्रभावी ढंग से ठीक करता है।
- Read more about कपालभाति प्राणायाम फॉर हेल्थी लिवर
- Log in to post comments
अधिक समय तक सेक्स करे अनुलोम विलोम प्राणायाम से
अनुलोम विलोम प्राणायाम एक साँस लेने की तकनीक है और यह श्वसन एलर्जी, राइनाइटिस (rhinitis), साइनसाइटिस (sinusitis), सर्दी और खांसी जैसी कई समस्याओं को हल करने में मदद करने के लिए जानी जाती है। इसके अलावा अनुलोम विलोम प्राणायाम यौन आनंद को बढ़ाने में भी मदद करता है और संभोग की भावना को रोकता है। यह स्खलन में देरी करने में भी मदद करता है और पूरे शरीर को ताकत देता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं।
बाल उगाने के लिए योग भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम बालों को झड़ने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण योग है और यह एक सुपरचार्ज मोड प्राणायाम भी है। यह फेफड़ों को स्वस्थ रखता है और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है जो बालों का झड़ना भी रोकता है और बालों के उगने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी आँखों को बंद कर लें और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। फिर अपनी तर्जनी को अंगूठे से मिलाएं। अब एक गहरी साँस अन्दर लें और फिर बलपूर्वक उसके बाहर निकालें। फिर से बलपूर्वक अन्दर की ओर साँस लें और फिर से बलपूर्वक उसे बाहर निकले। इस भस्त्रिका प
- Read more about बाल उगाने के लिए योग भस्त्रिका प्राणायाम
- Log in to post comments
लो बीपी के लिए योग सूर्यभेदी प्राणायाम
सूर्यभेदी प्राणायाम मन को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस लेने की दर को धीमा करता है। जैसे ही ऑक्सीजन प्रवेश करती है और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैं। यह दिमाग को शांत करता है जिससे सिर ठंडा रहता है और चक्कर नहीं आते हैं। यह एक उन्नत प्राणायाम है इसे योग शिक्षक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए।
- Read more about लो बीपी के लिए योग सूर्यभेदी प्राणायाम
- Log in to post comments
श्वसन तंत्र में लाभदायक योग कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम एक साँस लेने की प्रकिया है जो हमारे श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है। यह वजन को कम करने के लिए कपालभाति एक बहुत ही अच्छा आसन हैं। कपालभाती प्राणायाम पेट की बीमारी, मोटापा, पाचन विकार और पेट से जुड़ी कई समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखे और ध्यान की मुद्रा में बैठे। साँस अन्दर को ओर ले अब साँस को बाहर छोड़ते हुए पेट को अन्दर की ओर इस प्रकार खींचे की पेट और पीठ आपस में मिल जाएं। फिर साँस को अन्दर ले ओर पेट को ढीला करें। यह क्रिया फिर से दोहर
- Read more about श्वसन तंत्र में लाभदायक योग कपालभाति प्राणायाम
- Log in to post comments
नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है
नाड़ीशोधन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है जहां नाड़ी का अर्थ चैनल या प्रवाह (flow) और शोधन का अर्थ सफाई या शुद्धि (purification) है। इसलिए नाड़ी शोधन प्राणायाम को आमतौर पर नासिका की सफाई करने और शरीर एवं दिमाग को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है। नाड़ी शोधन एक ऐसा प्राणायाम है जिसे महिला, पुरुष और किसी भी उम्र के व्यक्ति बेहद आसानी से कर सकते हैं और इसका लाभ पा सकते हैं। यह प्राणायाम शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही हर तरह के चिंता और तनाव को दूर करने में बहुत सहायक होता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम गहरी सांस लेने, कुछ देर तक उसे रोकने (hold) और फिर छोड़ने की एक प्रक्रिया है, इसलिए यह शरी
- Read more about नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है
- Log in to post comments
नाड़ी शोधन प्राणायाम की विधि
सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़कर जमीन पर बिल्कुल आराम से बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी (erect) रखें और कंधों को भी आराम की मुद्रा में रखें और अधिक तनाव न दें और दोनों आंखों को बंद करके बैठें।
इसके बाद अपने बायीं हथेली को बाएं जांघ (thigh) के ऊपर रखें। हथेली ऊपर की ओर खुली रखें और अंगूठे और तर्जनी उंगली के पोरों को एक दूसरे से सटाकर रखें।
- Read more about नाड़ी शोधन प्राणायाम की विधि
- Log in to post comments
शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे
नासिका द्वार से श्वास छोड़ने और लेने की क्रिया से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। हालांकि शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए प्रतिदिन नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास (practice) करना जरूरी होता है। यह प्राणायाम करने से व्यक्ति को न तो अधिक ठंड लगती है और न ही अधिक गर्मी का अनुभव होता है।
खून को शुद्ध करने में नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे
नियमित रूप से शांत वातावरण में बैठकर नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करने से श्वसन प्रणाली(Respiratory System) बेहतर होती है और शरीर का खून शुद्ध होता है। इसके अलावा यह प्राणायाम ब्लड में ऑक्सीजन की अच्छी तरह आपूर्ति (supply) करने में भी सहायक होता है। नाड़ी शोधन का अभ्यास करते समय गहरी श्वास लेने से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं।