बालासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां

लासन संस्कृत का शब्द है जहां बाल का अर्थ बच्चा (child) और आसन का अर्थ मुद्रा (pose) है। बालासन के फायदे अनेक है, यह आसन कई विभिन्न आसनों से मिलता-जुलता रूप है और इसका अभ्यास शीर्षासन से पहले और बाद में किया जा सकता है। इस आसन को करते समय जमीन पर लेटे बच्चे की तरह आकृति बनती है और कूल्हे जमीन से ऊपर उठे हुए एवं घुटने जमीन से चिपके होते हैं इसलिए इस आसन को बालासन पोज कहा जाता है। इस आसन को गर्भाशन (Garbhasana) या शशांकासन (Shashankasana) भी कहा जाता है। सभी तरह के योगासन की कुंजी (key) श्वास होता है। इसलिए इस आसन का अभ्यास करते समय सांस लेने औऱ छोड़ने की पूरी प्रक्रिया पर अधिक ध्यान देना चाहि

लंग्स के लिए योग अर्धमत्स्येन्द्रासन

अर्धमत्स्येन्द्रासन योग आसन प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। इस आसन के दौरान गहरी सांस फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करती है और अंततः श्वसन प्रणाली को मजबूत करती है। यह शरीर में रीढ़ की हड्डी और उत्तेजक ग्रंथियों को फैलाने के लिए बिल्कुल सही आसान है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दायं पैर को बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें अपने गर्दन कंधे और कमर को दाहिनी ओर घुमा लें। कुछ सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहे और फिर यही पूरी प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।

फेफड़ों की सफाई के लिए योग गोमुखासन

गोमुखासन, योग का एक और हिस्सा जो आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बेहद फायदेमंद है। गोमुखासन विश्राम को प्रेरित करने के लिए उत्कृष्ट आसन है। यह आसन न केवल छाती के क्षेत्र को खोलता है बल्कि पीठ दर्द, थकावट, तनाव और चिंता को कम करता है। इस आसन को करने के लिए आप आप सबसे एक योगा मैट बिछा के सुखासन में बैठ जाएं। अपने दाएं पैर को खिंच के अपने शरीर के पास लाएं फिर अपने बाएं पैर को भी खिंच के दाएं पैर की जांघ के ऊपर से अपने पास लाएं। अब अपने दाएं हाथ को कंधे के ऊपर से पीठ पर ले जाएं और बाएं हाथ को कोहनी के यह से मोड़ें के पीठ के पीछे ले जाये और अपने दोनों हाथों को आपस में मिला लें। आप इ

फेफड़ों के लिए योग त्रिकोणासन

त्रिकोणासन योग मुद्रा तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है और फेफड़ों को आसान वायु मार्ग की अनुमति देता है। इस योग मुद्रा की प्रमुख विशेषता है कि यह छाती गुहा का विस्तार करने में मदद करता है, जिससे फेफड़ों का एक अच्छा व्यायाम सुनिश्चित हो जाता है। यह आसान केवल फेफड़े ही नहीं बल्कि आंतरिक जांघों और पेट की मांसपेशियों को खींचने और रीढ़ को मजबूत करने में भी बेहद फायदेमंद है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर दोनों पैरों को दूर-दूर करके सीधे खड़े हो जाएं, अपने दाएं पैर के साइड झुकें और अपने हाथ को जमीन पर रखें और दूसरे हाथ को ऊपर करके सीधा करें जिससे दोनों हाथ एक सीधी रेखा में हो जाएं। कुछ द

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए योग भुजंगासन

भुजंगासन करने से आपके फेफड़ों को पर्याप्त फैलाव मिलता हैं यह फैलाव आपके शरीर में अधिक ऑक्सीजन ग्रहण करने में आपकी मदद करता हैं जिससे आपके फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। इस आसन को करने लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं जिसमे आपकी पीट ऊपर की ओर रहे। अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुयें धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे के ओर करें और ठुड्डी को ऊपर की ओर करने का प्रयास करें। आप इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।

फेफड़ों के लिए योग

यदि आप फेफड़ों की बीमारी जैसे कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), अस्थमा या फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित हैं, तो ऐसे मरीजों के लिए व्यायाम एक अच्छा विकल्प हैं, जिन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है वो श्वसन चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के मार्गदर्शन में इन योग आसन को कर सकते हैं।

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए योग

 फेफड़ों के लिए योग: फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। फेफड़ों को मजबूत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण योग अभ्यास है। योग आपके फेफड़ों के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है अपने फेफड़ों को धूम्रपान मुक्त रखने के अलावा एक नियमित व्यायाम उन्हें मजबूत कर सकता। योग ऐसे परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए सबसे सही तरीकों में से एक है जो फेफड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं और उन्हें स्वस्थ रखते हैं। योग के माध्यम से आप अपनी शारीरिक शक्ति में सुधार कर सकते हैं और अपनी भावनात्मक ऊर्जा को नियंत्रण में रख सकते हैं।

मेनोपॉज के लिए योग पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन योग मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होता है। यह एक आसान मुद्रा भी है जिसके और भी कई लाभ हैं। यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव से राहत देता है। पश्चिमोत्तानासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा के सीधे कर लें। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजे पकड़ लें। अपने सिर को घुटनों पर रख दें। इस आसन को 20 से 60 सेकंड के लिए करें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।