रजोनिवृत्ति के लिए योग अधोमुख श्वान आसन

अधोमुख श्वान आसन योग रजोनिवृत्ति की समस्या को कम कर सकता है। यह डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज के रूप में भी जाना जाता है यह आसन थकान, पीठ दर्द और कठोरता से छुटकारा पाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच में थोड़ा सा अंतर रखें। अब आगे की ओर झुकते जाएं अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखे। दोनों पैरों को हाथों से दूर करें जिससे आपके हाथ और रीढ़ की हड्डी एक सीधी रेखा में आ जाएं। इसमें आपके पैर और सीने के बीच 90 डिग्री का कोण बनेगा। अधोमुख श्वान आसन को एक-दो मिनिट के लिए करें।

मेनोपॉज के लिए योग पादांगुष्ठासन

पादांगुष्ठासन योग रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। यह काफी सरल आसन है इसे करने के लिए आगे की ओर झुक के अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने की आवश्यकता होती है। जब आप आगे झुकते हैं, तो यह आपके सिर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्याप्त ऑक्सीजन भी देता हैं। पादांगुष्ठासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और अपने दोनों हाथों को ऊपर सीधा कर लें। अब धीरे-धीरे सामने को ओर कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को छूने की कोशिश करें। इस आसन में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें फिर आसन से

रजोनिवृत्ति के लिए योग फैन आसन

फैन आसन के कई फायदे हैं। जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं आपकी मांसपेशियां छोटी और कड़ी होती जाती हैं। सबसे अधिक प्रभावित होने वाले दो मांसपेशी समूह हैमस्ट्रिंग और आंतरिक जांघ हैं। फैन आसन उन दोनों को लक्षित करता है। तंत्रिका तंत्र को सीधे प्रभावित करने का स्ट्रेचिंग एक अच्छा तरीका है। इसलिए जब हम खिंचाव करते हैं तो हम बहुत आराम महसूस करते हैं। फैन आसन योग रजोनिवृत्ति के फायदेमंद होता हैं। फैन आसन योग करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब अपने दोनों पैरों के बीच में लगभग दो फुट की दूरी बनाये और अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर सीधा कर लें। अब अपने धड़ को सीधा रखे हुए कम के

मेनोपॉज के लिए योग फारवर्ड फेसिंग हीरो पोज़

यह रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने के लिए सबसे अच्छा योग है। यह फारवर्ड फेसिंग हीरो पोज़ आंतरिक जांघों को फैलाता है, रीढ़ को फैलाता है, मन को शांत करता है और तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। यह श्रोणि क्षेत्र को भी फिर से युवा करता है। यदि आपकी जांघें तंग हैं या आपको घुटने की समस्या है तो अपने घुटनों के पीछे एक कंबल को फोल्ड करके रख सकते हैं। इस योग को करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर वज्रासन में या घुटने टेक के बैठ जाएं। अब धीरे-धीरे अपने सिर को झुकाते जाएं और जमीन पर सिर को रखें। अपने दोनों हाथों को सामने की ओर सीधे करके फर्श पर रखें। इस आसन में आप कम से कम 2 से 3 मिनिट रहने का

रजोनिवृत्ति के लिए योग सलंब भुजंगासन

सलंब भुजंगासन योग रजोनिवृत्ति की समस्या में आपके लिए लाभदायक हो सकता हैं। यह छाती को खोलने वाला योग है और यह योग आपकी तंत्रिका तंत्र को भी उत्तेजित करता है। सलंब भुजंगासन योग करने के लिए आप पहले फर्श पर एक योगा मैट को बिछा कर उस पर पेट के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को कोहनी के यहाँ से मोड़े और उनको फर्श पर रखें। अपने हाथों के ऊपरी हिस्से को और अपने दोनों पैरों को सीधा रखें, पैर की सभी उंगलियों को फर्श पर दबाएं। इस स्थिति में आपके कमर के ऊपर का हिस्से फर्श से ऊपर रहेगा। इस योग को आप नियमित रूप से करें आपको आराम मिलेगा।

मेनोपॉज के लिए योग लंज पोज

लंज पोज हिप फ्लेक्सर्स और कुल्हे की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है। कुल्हे की मांसपेशियां पीठ के निचले हिस्से को ऊपरी जांघों से जोड़ती हैं। लंज पोज रजोनिवृत्ति की समस्या को कम करने में आपकी मदद करता हैं। इस योग को करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा कर उस पर सीधे खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को सीधा रखें। अब अपने दाएं पैर को आगे की ओर रखें और उसे घुटने से मोड़ें। अपने बाएं पैर को पीछे की ओर सीधा कर लें। अब अपने दोनों हाथों को कमर पर रख लें और गहरी साँस लें। कुछ सेकंड इस स्थिति में रहने के बाद यह पूरी क्रिया दूसरे पैर से दोहराएं।

रजोनिवृत्ति के लिए योग कैट काऊ पोज

कैट और काऊ पोज इन दोनों पोज का संयोजन आपकी रीढ़ को गति की एक सीमा से आगे बढ़ाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी आगे और पीछे दोनों ओर प्रभावित होती हैं। जब आप कैट पोज़ में पीठ को गोल करते हैं, तो आप शरीर के उस हिस्से को खींचते हैं जो पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (sympathetic nervous system) से संबंधित होता है। यह योग आपके रीढ़ के चारों ओर जोड़ों और ऊतकों की मालिश करता हैं उन्हें नरम, कोमल और युवा रखता हैं। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर घुटनों को टेक के अपने दोनों हाथों को जमीन पर रख लें। अपने धड को फर्श के समान्तर रखें। अब साँस को अन्दर लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर तथा अपनी ठुड्डी को ऊपर

रजोनिवृत्ति के लक्षणों से बचने के लिए योग

रजोनिवृत्ति के लिए योग शांत और एकत्र रहने के बारे में है। आप अपने तंत्रिका तंत्र को संतुलित रखना चाहते हैं और शरीर को गर्म किए बिना ताकत बनाए रखने के लिए अभ्यास का उपयोग करते हैं।

हार्मोन को संतुलित करने और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में मेनोपॉज यानि माहवारी बंद होने के बाद निम्न योग आपकी मदद कर सकते हैं। आइये इन योग को करने के तरीके के बारे में विस्तार से जानते हैं।

रजोनिवृत्ति के लिए योग

रजोनिवृत्ति तब होती है जब किसी महिला का मासिक धर्म स्थायी रूप से रुक जाता है। यह आमतौर पर हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तनों से जुड़ा होता है। ये परिवर्तन धीरे-धीरे या अचानक हो सकते हैं। रजोनिवृत्ति एक महिला के जीवन चक्र में एक प्राकृतिक प्रकिया है। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक नए चरण में पहुंचना है। इसके लक्षणों में अनियमित मासिक धर्म, यौन इच्छा में बदलाव, गर्म चमक (hot flashes), योनि का सूखापन और मूत्र संबंधी समस्याएं, मूड में बदलाव, नींद की समस्या, धड़कन और पीठ दर्द आदि शामिल हैं। यदि आप रजोनिवृत्ति से गुजर रही हैं तो आप हार्मोन के उतार-चढ़ाव के प्रभाव को महसूस कर सकती हैं। योग के द्वारा

पैंक्रियास के लिए योग पद्म बकासन

पद्म बकासन रक्तचाप बढ़ाता है, शारीरिक और आध्यात्मिक संतुलन को बढ़ावा देता है। पद्म बकासन योग पैंक्रियास के लिए अच्छा होता है। यह योग हाथ, कंधे और पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करता है और कंधे, कोहनी और कलाई के जोड़ों को स्थिर करता है। पद्म बकासन योग अग्न्याशय और पाचन तंत्र के कार्य को नियंत्रित करता है। पैंक्रियास के लिए पद्म बकासन योग करने के लिए आप पहले एक योगा मैट को फर्श पर बिछा कर उस पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब थोड़ा सा फर्श की ओर झुके और आगे की ओर इशारा करते हुए उंगलियों को फर्श पर रखें। अब दोनों हाथों पर अपने शरीर का भार डालते हुए धीरे-धीरे नितंबों और पैरों को उठाएं और घुटनों

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।