पादंगुष्ठासन
पादंगुष्ठासन को मूल योग आसन कहा जाता है क्योंकि यह मुद्रा सिर से पैर तक रीढ़ और सभी मांसपेशियों को फैलाती है और रक्तचाप को नियंत्रण में रखती है। यह आसन पीछे और आगे झुकने के बीच सही संतुलन है, यह गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव और धक्का का उपयोग करता है। इस आसन का अभ्यास करने से मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण बढ़ता है और जांघ की मांसपेशियों, हैमस्ट्रिंग, पिंडलियों की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से और दोनों भुजाओं में खिंचाव होता है। पादंगुष्ठासन यकृत और प्लीहा की मालिश करता है और घुटनों को ताकत देता है।
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Celebrations for IDY2021 in Florence
- Italy
- 7th International Day of Yoga 2021
Some photos from yesterday's Celebrations for #IDY2021 in Florence.
Thank you to all the participants and schools that joined!
A special thank you to Città di Firenze and Assessor Cosimo Guccione for your collaboration
Ministry of External Affairs, Government of India
Iccr Delhi
Ministry of AYUSH, Government of India
#yogaforwellness
#BeWithYogaBeAtHome
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Master class in Moscow State University named after
- Russia
- 7th International Day of Yoga 2021
Photo report on yoga master class in Moscow State University named after. Nevelsky 17.06.21.
बुद्धासन
बुद्धासन अष्टांग योग की चौथी श्रृंखला में मुद्रा के लिए संस्कृत नाम है। बुद्धासन बुद्ध शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "जागृत", और आसन, जिसका अर्थ है "आसन।"
Buddhasana is the Sanskrit name for a pose in the fourth series of Ashtanga yoga. Buddhasana is derived from the term buddha, meaning “awakened,” and asana, meaning “posture.”
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বৃশ্চিকাসন
বৃশ্চিকাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। বিশেষ ধরনের বৃশ্চিকের ভঙ্গিমা থেকে বৃশ্চিকাসন করা হয়েছে।
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वृश्चिकासन
वृश्चिकासन से मिलेगा अच्छा स्वस्थ्य यदि आप अपने पाचनतंत्र को मजबूत करना चाहते है और आप चाहते है की आप जो भी खाए वो ठीक प्रकार से पच जाए तो ये आसन आपको जरुर करना चाहिए.
ब्रह्मचर्य का पालन करने वालो के लिए भी वृश्चिकासन बहुत ही अधिक लाभदायक है दिखती सी बात है जो जो आसन ब्रह्मचर्य में सहायक होते है उनको करने से स्वप्नदोष जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है .
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ব্যাঘ্রাসন
ব্যাঘ্রাসন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এই আসনে দেহের সম্মুখাংশে বাঘের হামা দেওয়া রূপটির সাথে কিছুটা মিল পাওয়া যায় সেই কারণেই হয়তো এর নামকরণ করা হয়েছে ব্যাঘ্রাসন (ব্যাঘ্র + আসন)।
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व्याघ्रासन
इस आसन को करते समय आपके शरीर की आकृति बाघ के समान दिखती है इसलिए इस आसन का नाम व्याघ्रासन रखा गया है| इसे करने से आपका बैक पैन तो कम होता ही है साथ ही तनाव से भी आपको मुक्ति मिलती है|
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ভটনাসন
ভটনাসন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এর বর্ধিত প্রকরণগুলো হলো― বদ্ধ পরিবৃত্ত-ভটনাসন, বদ্ধ ভটনাসন, সুপ্তভটনাসন।
পদ্ধতি
১. প্রথমে সোজা হয়ে দাঁড়ান।
২. এরপর ডান হাঁটু ভাজ করে, এর হাঁটু মাটিতে রাখুন বাম পাকে সামনের দিকে ভাঁজ করে এর পাতা মাটির উপর রাখুন।
৩. এবার ডান পায়ের উর্ধাংশ উপরের দিকে তুলে বাম পায়ের উরুর উপর রাখুন।
৪. এবার মেরুদণ্ড সোজা করে, দুই হাত বুকের কাছে তুলে নমস্কারের ভঙ্গিতে রেখে ২০ সেকেণ্ড স্থির হয়ে থাকুন এরপর পা বদল করে আসনটি আবার করুন।
৫. এরপর আসন ত্যাগ করে শবাসনে বিশ্রাম করুন
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International Day of Yoga celebrations with a session on office-yoga by Shri. Tyagpuri
- Czechia (Czech Republic)
- 7th International Day of Yoga 2021
Embassy of India in Prague, kickstarted the International Day of Yoga celebrations with a session on office-yoga by Shri. Tyagpuri.
#InternationalDayOfYoga #YogaDay
Iccr Delhi
“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।