क्या आपको भी सोते समय लगते हैं झटके, जानिए मतलब
एक थकान भरे दिन के बाद सुकून भरी नींद लेना हर व्यक्ति की चाहत होती है. लेकिन सोने के बाद कुछ लोगों को झटके महसूस होते हैं. क्या कभी आपने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? एक स्टडी के मुताबिक, 60 से 70 फीसदी लोगों को सोने के बाद झटके महसूस होते हैं. ये झटके उस समय महसूस होते हैं जब व्यक्ति कच्ची नींद में होता है. यानी ना तो पूरी तरह उठा हुआ होता है और ना गहरी नींद में होता है.
अलग-अलग लोग इसके पीछे अलग-अलग वजह बताते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि उनके शरीर में तब झटके आते हैं, जब वे सपने में गिर रहे होते हैं या किसी उलझन में होते हैं.
योग और सुदर्शन क्रिया में क्या अंतर है?
योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है। योग मे हर आसन और प्राणायाम मे साँसों का विशेष महत्व होता है
वही दूसरी तरफ अगर सुदर्शन क्रिया की बात की जाए तो यह एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। अध्यात्मिक खोज है यह क्रिया को सबसे पहले लाने और सिखाने का श्रेय श्री श्री रविशंकर जी को जाता है ,यह क्रिया हमें अनंत की एक झलक देती है। सुदर्शन क्रिया स्वास्थ्य, प्रसन्नता, शांति और जीवन से परे के ज्ञान का अज्ञात रहस्य है!
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फेंफड़े शुद्ध करने के योगा टिप्स
व्यक्ति प्राकृतिक श्वास लेना भूल गया है। प्रदूषण और तनाव के कारण उसकी श्वास उखड़ी-उखड़ी और मंद हो चली है। यहां प्रस्तुत है श्वास को शुद्ध करने के योगा टिप्स।
1.जहां भी प्रदूषण भरा माहौल हो वहां केवली प्राणायाम करने लगें और उस प्रदूषण भरे माहौल से बच निकलने का प्रयास करें। यदि रूमाल साथ रखते हैं तो केवली की आवश्यकता नहीं।
2.बदबू से बचें, यह उसी तरह है जिस तरह की हम खराब भोजन करने से बचते हैं। बेहतर इत्र या स्प्रे का इस्तेमाल करें। श्वासों की बदबू के लिए आयुर्वेदिक इलाज का सहारा ले सकते हैं।
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नौकासन सिर से ले कर पैरों तक की सभी बीमारियां दूर करे
नौका आसन यानी नाव के समान मुद्रा। पीठ एवं मेरूदंड को लचीला व मजबूत बनाये रखने के लिए नौकासन का अभ्यास काफी लाभदायक होता है। यह आसन ध्यान और आत्मबल को बढ़ाने में भी कारगर होता है। कंधों एवं कमर के लिए भी यह व्यायाम फायदेमंद है। शरीर को सुडौल बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही लाभदायक होता है। 7 योग आसन जो आपके पेट को रखें स्वस्थ इससे पाचन क्रिया, छोटी-बड़ी आँत में लाभ मिलता है। अँगूठे से अँगुलियों तक खिंचाव होने के कारण शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रवाहित होता है, जिससे काया निरोगी बनी रहती है। हर्निया रोग में भी यह आसन लाभदायक माना गया है। निद्रा अधिक आती हो तो उसे नियंत्रित करने मे ये नौका आ
বিড়ালাসন
বিড়ালাসন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। বিড়ালের অঙ্গভঙ্গি অনুসারে এর নামকরণ করা হয়েছে বিড়ালাসন (বিড়াল + আসন)। এই আসনের অপর নাম হলো মার্জারাসন (মার্জার + আসন)। উল্লেখ্য, সংস্কৃত মার্জার শব্দের অর্থ হলো বিড়াল।
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বিপরীত পরিবৃত্ত কোণাসন
বিপরীত পরিবৃত্ত কোণাসন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এটি কোণাসনের একটি প্রকরণ। উর্ধ্বদিকে পা রেখে- পা ঘুরিয়ে কোণাসন তৈরি করা হয়, বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে। শীর্ষাসনে আসীন হয়ে এই আসন করা হয়। এই কারণে একে শীর্ষাসনের একটি প্রকরণ হিসাবেও বিবেচনা করা হয়।
পদ্ধতি
১. প্রথমে শীর্ষাসনে আসীন হন
২. এরপর পা দুটো প্রসারিত করে কোণ সৃষ্টি করুন।
৩. এবার প্রসারিত পা দুটো একটু ঘুরিয়ে স্থির হন।
৪. এবার এইভাবে ১০ সেকেণ্ড অবস্থান করুন এরপর ধীরে ধীরে পা দুটো বিপরীত দিকে ঘুরান এরপর আসন ত্যাগ করে ২০ সেকেণ্ড শবাসনে বিশ্রাম নিন এরপর পুরো আসনটি আরও দুই বার করুন।
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বদ্ধ পরিবৃত্ত ভটনাশন
বদ্ধ পরিবৃত্ত ভটনাশন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এটি ভটনাসন-এর বদ্ধ ও ঘূর্ণন রূপ।
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কোবরা পোজটি সম্পাদনের জন্য সঠিক কৌশল
হ্যালো প্রিয় পাঠকগণ, আপনাকে আবার দেখতে পেয়ে আমি খুব আনন্দিত। আজ আমরা হাথ যোগে অন্যতম প্রধান আসনের সাথে দেখা করব। একে "কোবরা পোজ" বা "ভুজঙ্গাসন" বলা হয়। আপনি কীভাবে আসনটি সঠিকভাবে সঞ্চালন করবেন, এটি কীভাবে শরীরকে প্রভাবিত করবে, এই পোজটি সম্পাদন করার পরামর্শ দেওয়া হয় না, নতুনদের কীভাবে এই অবস্থানটি করা উচিত।
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10 योगासन जो मधुमेहपर लगाम लगाएं
नियमित योग एक तरफ जहां आपको स्वस्थ रखता है वहीं दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों से भी निजात दिलाता है। अगर मधुमेह में नियमित कुछ खास तरह के योग किए जाएं तो मधुमेह को कंट्रोल कर सकते हैं। आइए जानें कुछ खास योगासनों के बारे में जो डायबिटीज को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
1-प्राणायाम
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पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि :
- सर्वप्रथम स्थिति में आइए ।
- पैरो को सामने की ओर बिल्कुल सीधा कर मिला लीजिए,अब हाथों को उपर उठा कर कानो की सीध में तानिये,हथेलियाँ दोनो हाथों की आमने-सामने रखते हुए मेरुदण्ड को सीधा रखेंगे,
- साँस निकालते हुए आगे की ओर झुकिए ,शरीर और हाथ फर्श के समानांतर रखते हुए,
- दोनो पैर के अंगूठों को दोनों हाथों से पकड़कर रखते हैं ,सीना जांघों से सटा लीजिए और ललाट को घुटने से लगाते हैं।
- साँस को सामान्य बनाए रखिए।
- शुरू में 10-20 सेकेंड ही रोकते हैं और स्थिति में बापिस आ जाते ह
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।