Skip to main content

प्रथ्वी मुद्रा

प्रथ्वी मुद्रा

प्रथ्वी मुद्रा -अनामिका उंगली पृथ्वी  तत्व का प्रतिनिधित्व करती है।

सर्वप्रथम वज्रासन / पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए।
अब अनामिका उंगली के अग्र भाग को अंगूठे के अग्र भाग से स्पर्श कीजिए।
हाथों को घुटनो पर रखिए हथेलियों को आकाश की तरफ रखेंगे।
अन्य तीन उंगलियों को सीधा रखिए।
आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँगे।
अपने मन को अपनी श्वांस गति पर केंद्रित रखिए।

 

    पृथ्वी मुद्रा विधि :

    1. वज्रासन की स्थिति में दोनों पैरों के घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे एवं दोनों पैर अंगूठे के आगे से मिले रहने चाहिए। एड़िया सटी रहें। नितम्ब का भाग एड़ियों पर टिकाना लाभकारी होता है। यदि वज्रासन में न बैठ सकें तो पदमासन या सुखासन में बैठ सकते हैं |
    2. दोनों हांथों को घुटनों पर रखें , हथेलियाँ ऊपर की तरफ रहें |
    3. अपने हाथ की अनामिका अंगुली (सबसे छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) के अगले पोर को अंगूठे के ऊपर के पोर से स्पर्श कराएँ |
    4. हाथ की बाकी सारी अंगुलिया बिल्कुल सीधी रहें ।

    प्रथ्वी मुद्रा करने की सावधानियां :

    • वैसे तो पृथ्वी मुद्रा को किसी भी आसन में किया जा सकता है, परन्तु इसे वज्रासन में करना अधिक लाभकारी है, अतः यथासंभव इस मुद्रा को वज्रासन में बैठकर करना चाहिए |

    प्रथ्वी मुद्रा करने का समय व अवधि :

    • पृथ्वी मुद्रा को प्रातः – सायं 24-24 मिनट करना चाहिए | वैसे किसी भी समय एवं कहीं भी इस मुद्रा को कर सकते हैं।

    प्रथ्वी मुद्रा करने के लाभ :

    1. शारीरिक कमज़ोरी  में लाभप्रद।
    2. चेहरे पर चमक लाती है।
    3. जीवन में मानसिक शांति व आनंद लाती है।

    प्रथ्वी मुद्रा करने के चिकित्सकीय लाभ :

    1. जिन लोगों को भोजन न पचने का या गैस का रोग हो उनको भोजन करने के बाद 5 मिनट तकवज्रासन में बैठकर पृथ्वी मुद्रा करने से अत्यधिक लाभ होता है ।
    2. पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से आंख, कान, नाक और गले के समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
    3. पृथ्वी मुद्रा करने से कंठ सुरीला हो जाता है |
    4. इस मुद्रा को करने से गले में बार-बार खराश होना, गले में दर्द रहना जैसे रोगों में बहुत लाभ होता है।
    5. पृथ्वी मुद्रा से मन में हल्कापन महसूस होता है एवं शरीर ताकतवर और मजबूत बनता है।
    6. पृथ्वी मुद्रा को प्रतिदिन करने से महिलाओं की खूबसूरती बढ़ती है, चेहरा सुंदर हो जाता है एवं पूरे शरीर में चमक पैदा हो जाती है।
    7. पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से स्मृति शक्ति बढ़ती है एवं मस्तिष्क में ऊर्जा बढ़ती है।
    8. पृथ्वी मुद्रा करने से दुबले-पतले लोगों का वजन बढ़ता है। शरीर में ठोस तत्व और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए पृथ्वी मुद्रा सर्वोत्तम है।

    प्रथ्वी मुद्रा करने के आध्यात्मिक लाभ :

    1. हस्त मुद्राओं में पृथ्वी मुद्रा का बहुत महत्व है,यह हमारे भीतर के पृथ्वी तत्व को जागृत करती है।
    2. पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से मन में वैराग्य भाव उत्पन्न होता है |
    3. जिस प्रकार से पृथ्वी माँ प्रत्येक स्थिति जैसे-सर्दी,गर्मी,वर्षा आदि को सहन करती है एवं प्राणियों द्वारा मल-मूत्र आदि से स्वयं गन्दा होने के वाबजूद उन्हें क्षमा कर देती है | पृथ्वी माँ आकार में ही नही वरन ह्रदय से भी विशाल है | पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से इसी प्रकार के गुण साधक में भी विकसित होने लगते हैं | यह मुद्रा विचार शक्ति को उनन्त बनाने में मदद करती है।

    Comments

    Pooja Tue, 30/Mar/2021 - 12:36

    पृथ्वी मुद्रा शरीर में प्रथ्वी तत्व बढाते है, जिसके चलते शारीरिक दुर्बलता दूर होती है| इससे आलस दूर होता है और शरीर में स्फूर्ति आती है| इससे व्यक्ति तेजस्वी बनता है|

    Pooja Tue, 30/Mar/2021 - 12:36
    1. दुर्बलता
    2. वजन में कमी
    3. ऑस्टियोपोरोसिस
    4. पोलियो
    5. सूखी त्वचा
    6. बालों का झड़ना
    7. आंखों में जलन
    8. पेट की गैस
    9. पेशाब की जलन
    10. गुदा में जलन
    11. हाथों में जलन
    12. पीलिया
    13. बुखार
    14. मुंह और पेट में अल्सर आदि|