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योग

दर्शन में योग का महत्व

भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्या‍त्मिक उन्नत‍ि या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है।

योग –एक वैज्ञानिक विवेचना

भारतीय दर्शन में मानव जीवन का लक्ष्य , धर्म, अर्थ, काम ,मोक्ष-ये चार पुरुषार्थ हैं, जिनमें अन्तिम लक्ष्य मोक्ष को परम पुरुषार्थ माना गया है। वेदिक व उपनिषदीय ज्ञान के अनुसार अन्तिम लक्ष्य अमृत प्राप्ति या मोक्ष है, यही वास्तविक मोक्ष है । योग शास्त्र के अनुसार ’ आत्मा का परमात्मा से मिलन’ ही योग है । जबकि गीता के अनुसार-’ योगः कर्मसु कौसलम”, प्रत्येक कर्म को कुशलता से, श्रेष्ठतम रूप से करना ही योग है। यही तो विज्ञान की मूल मान्यता है, वर्क इज़ वर्शिप’ ।

ਆਧੁਨਿਕ ਜੀਵਨਸ਼ੈਲੀ ਵਿਚ ਯੋਗਾ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ

ਕਿਫਾਇਤੀ ਅਤੇ ਅਤਿ ਆਧੁਨਿਕ ਜੀਵਨ ਸ਼ੈਲੀ ਨੂੰ ਅਪਣਾਉਣ ਕਾਰਨ, ਅੱਜ ਦਾ ਮਨੁੱਖ, ਦਬਾਅ ਅਤੇ ਤਣਾਅ ਦੀ ਇੱਛਾ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਵੀ, ਹਫੜਾ-ਦਫੜੀ, ਬਿਮਾਰੀ, ਮਨਮੋਹਣੀ, ਨਿਰਾਸ਼ਾ, ਅਸਫਲਤਾ, ਕੰਮ, ਕ੍ਰੋਧ, ਲੋਭ, ਮੋਹ, ਹਉਮੈ, ਈਰਖਾ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਮੁਸ਼ਕਲ ਸਥਿਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿੰਦਗੀ. ਪਾਣੀ, ਹਵਾ, ਧੁਨੀ ਅਤੇ ਭੋਜਨ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਉਹ ਨਕਾਰਾਤਮਕ ਬੁਰਾਈਆਂ ਦਾ ਵੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ, ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਸਰੀਰਕ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਮਾਨਸਿਕ ਅਸੰਤੁਲਨ, ਚਿੰਤਾਵਾਂ, ਉਦਾਸੀ, ਸੂਚੀ-ਰਹਿਤ ਅਤੇ ਗਲਤ ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਘੇਰ ਲਿਆ. ਉਸਦੇ ਮਨ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਭੰਗ ਹੈ, ਪਰ ਸਾਡੀ ਭਾਰਤੀ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਯੋਗਾ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਥਿਤੀਆਂ ਦਾ ਦ੍ਰਿੜਤਾ ਨਾਲ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰ ਸਕਦੀ ਹੈ.

आधुनिक जीवन शैली में योग का महत्‍व

अर्थप्रधान एवं अतिव्‍यस्‍त आधुनिक जीवन शैली अपनाने के कारण आज का मानव न चाहते हुए भी दबाव एवं तनाव, अविश्राम, अराजकता, रोग ग्रस्‍त, अनिद्रा, निराशा, विफलता, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्‍या तथा अनेकानेक कष्‍टपूर्ण परिस्थितियों में जीवन निर्वाह करने के लिए बाध्‍य हो गया है। जल, वायु, ध्‍वनि तथा अन्‍न प्रदूषण के साथ-साथ ऋणात्‍मक दुर्भावनाओं का भी वह शिकार बन चुका है। परिणामस्‍वरूप अनेकानेक शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक असंतुलन, चिंताएं, उदासी, सूनापन एवं दुर्भावनात्‍मक विचार उसे चारों ओर से घेर लेते हैं। उसके मन की शान्ति भंग हो जाती है लेकिन इन परिस्थितियों का दृढ़ता के साथ सामना करन

गैस बनने वाली परेशानी को दूर करे ये योग आसान

सान हम आपको बताने वाले हैं, उससे आपको गैस तथा एसीडिटी दोनों से राहत मिलेगी। एक बात जिसका आपको खास ख्‍याल रखना है, वह ये कि योगा करने से पहले पानी बिल्‍कुल भी ना पियें। इस योगा से आपके पेट पर गहरा असर पडे़गा। इन नीचे दिये योग आसन को रोजाना सुबह के समय करें, जिससे आपको कभी पेट में गैस की समस्‍या ना झेलनी पडे़

दिल के दौरे के लिये योगासन

 देश में दिल के दौरे की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हर साल करीब 25 लाख लोग दिल के दौरे के कारण असामयिक मौत के मुंह में चले जाते हैं। हृदय रोगों की संख्याल के बढ़ने कीसबसे बड़ी वजह है लोगों का अपनी सेहत को हल्के में लेना। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने काम को ज्यादा प्रथामिकता देते हैं। लेकिन जरा सोचिए अगर आप स्वस्थ नहीं रहेंगे तो काम कैसे कर पाएंगे। ऐसे में अगर आप थोड़ा सा समय योग के लिए निकालें तो आप अपने दिल को चुस्त दुरुस्त रख पाएंगे। आईए जानें हृदय रोग में कौन से कौन योग करना चाहिए। 
ताड़ासन 

ਉਤਤਨ ਪਦਾਸਨਾ ਦੁਆਰਾ ਪੇਟ ਦੇ ਅੰਦਰ ਤੁਰੰਤ

ਆਧੁਨਿਕਤਾ ਦੀ ਅੰਨ੍ਹੀ ਦੌੜ ਵਿਚ ਭੋਜਨ, ਰਹਿਣ-ਸਹਿਣ, ਨੈਤਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵਨ lifeੰਗ ਦੀ ਭਟਕਣਾ ਕਾਰਨ ਅੱਜ ਪੂਰਾ ਸਮਾਜ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਨਾਲ ਜੂਝ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਖ਼ਾਸਕਰ ਉਹ ਬਦਹਜ਼ਮੀ, ਕਬਜ਼, ਮੋਟਾਪਾ, lyਿੱਡ ਅਤੇ ਪੇਟ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹੋਰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਹੈ। ਸਭ ਦਾ ਨਿਦਾਨ ਕਰਨ ਲਈ ਯੋਗ ਇਕੋ ਇਕ ਉਪਾਅ ਹੈ. ਪੇਟ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਇਹ ਇਕ ਸਹੀ ਸੰਕੇਤ ਹੈ.

उत्तान पादासन से तुरंत पेट अंदर

आधुनिकता की अंधी दौड़ में खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार और जीवन पद्धति के विकृत हो जाने से आज सारा समाज अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हैं। खासकर वह अपच, कब्ज, मोटापा, तोंद और अन्यपेट संबंधी बीमारियों से परेशान हो गया है। सभी के निदान के लिए लिए योग ही एकमात्र उपाय है। यहां प्रस्तुत है पेट को अंदर करने के लिए अचूक आसन उत्तान पादासन।

हॉट योगा और पावर योगा में क्या अंतर है?

पावर योग में योगासन को बहुत तेजी के साथ करवाया जाता है जबकि हॉट योगा में बंद कमरे में कमरे के तापमान को बढ़ा कर उस माहौल में योगा करना होता है ताकि आपके शरीर से ज्यादा मात्रा में पसीना बाहर निकल सके जिससे आपके शरीर के अंदर से हानिकारक तत्व शरीर से बाहर निकलते और आपका अतिरिक्त वजन भी कम हो सके जबकि पावर योगा में आसनों को बड़ी तेजी के साथ क्रमबद्ध तरीके से करवाया जाता है अगर सही शब्दों में कहूं तो दोनों हिंदी योग के विरुद्ध हैं योग के सिद्धांतों के विरुद्ध हैं और योग के स्वरूप को देखते हुए दोनों ही अवैज्ञानिक पद्धति हैं

त्रिकोण आसन करें अतिरिक्‍त चर्बी घटायें

अगर आप कई दिनों से अपने पेट की चर्बी घटाने के लिये परेशान हैं तो आपको रोजाना नियमित तौर पर त्रिकोण आसान करना चाहिये। त्रिकोण आसान से पेट, कमर और कूल्‍हे की बढ़ी हुई चर्बी घटने लगती है। इसे अगर जल्‍दी जल्‍दी किया जाए तो जल्‍दी लाभ होता है। इसके नियमित अभ्‍यास से शरीर में लचीलापन बढ़ जाता है, रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है, कंधे और पीठ दर्द दूर होता है, एसिडिटी, गर्दन का दर्द का दूर हो जाता है।