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योग

सिर्द दर्द और माइग्रेन है तो करें प्राणायाम

 सिरदर्द कभी गर्मी लगने से हो जाता है कभी शर्दी लगने से हो जाता है और कभी गैस के कारन सिरदर्द होता है। यदि शर्दी के कारन से सिर  दर्द है तो कपालभाति प्राणायाम करे, अगर गैस के कारन आपको सिरदर्द है तो अनुलोम विलोंम प्राणायाम करे। ये प्राणायाम १५ मिनिट से ले के ३० मिनिट तक करना चाहिए।

 

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

 

प्राणायाम से दूर होते हैं ये रोग

 चरक ने वायु को मन का नियंता एवं प्रणेता माना है। आयुर्वेद अनुसार काया में उत्पन्न होने वाली वायु है उसके आयाम अर्थात निरोध करने को प्राणायाम कहते हैं। आओ जानते हैं कैसे करें प्राणायाम और कौन-सा रोग मिटेगा प्राणायाम से...

प्राणायाम के पांच फायदे जानना जरूरी

प्राणायाम की शुरुआत : प्राणायाम करते समय 3 क्रियाएं करते हैं- 1.पूरक, 2.कुंभक और 3.रेचक। इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं।

सिरदर्द ओर माइग्रेन से छुटकारा पाने के लिए प्राणायाम

 सिरदर्द कभी गर्मी लगने से हो जाता है कभी शर्दी लगने से हो जाता है और कभी गैस के कारन सिरदर्द होता है। यदि शर्दी के कारन से सिर  दर्द है तो कपालभाति प्राणायाम करे, अगर गैस के कारन आपको सिरदर्द है तो अनुलोम विलोंम प्राणायाम करे। ये प्राणायाम १५ मिनिट से ले के ३० मिनिट तक करना चाहिए।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम (ANULOM-VILOM PRANAYAM)

दमा से राहत दिलाए योग व प्राणायाम

दमा की यह कहावत अब पुरानी हो चुकी है कि दमा दम लेकर ही दूर होता है। दमा को श्वास रोग कहते हैं। दमा के रोगियों में सांस नली चौड़ी होने के बजाय सिकुड़ जाती है। सांस नली में पड़ी कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाती है और रोगी को बलपूर्वक एवं कठिनाई से उसे निकालने का प्रयास करना पड़ता है। परन्तु योग ने यह सिद्ध कर दिया है कि उन्हें भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। दमे के रोगियों के लिए कुछ खास योगों में गोमुखासन और सूर्यभेदी प्राणायाम अत्यन्त लाभदायक है।
गोमुखासन

प्राणायाम के लाभ एवं महत्व

हमारे शरीर में जितनेही चेष्टाएँ होती है उन सभी का प्राण से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। प्रणायाम से इन्द्रियों एवं मन के दोष्  दूर होते है।

प्राणायाम से मिलने वाले समस्त सामान्य लाभ

  1. भस्त्रिका प्राणायाम: ष्श्वास को यथाषक्ति फेफड़ो में पूरा भरना एवं बाहर छोड़ना। यह प्राणायाम एक से पाँच मिनट तक किया जा सकता है। लाभ: सर्दी, जुकाम, श्वास रोग, नजला, साइनस, कमजोरी, सिरदर्द व स्नायु रोग दूर होते है। फेफड़े एवं हृदय स्वस्थ होता है।
  1. कपालभाति प्राणायाम: ष्श्वास को यथाषक्ति बाहर छोड़कर पूरा ध्यान श्वास को बाहर छोड़ने में होना चाहिए। भीतर श्वास जितना अपने आप जाता है उतना जाने देना चाहिए। श्वास जब बाहर छोड़ंेगे तो स्वाभाविक रूप से पेट अन्दर आयेगा। यह प्राणायाम यथाशक्ति पाँच मिनट तक प्रतिदिन खाली पेट करना चाहिए।

लाभ: मस्त

शरीर की हर बीमारी का नाश कर सकने में सक्षम प्राणायाम:

9 महीने तक नियम से सुबह शाम आधा घंटा प्राणायाम को परहेजों के साथ करने से निश्चित रूप से हर खतरनाक से खतरनाक बीमारी में भी आराम मिलते देखा गया है !
प्राण स्वस्थ हो तो शरीर को कोई भी बीमारी छू नहीं सकती है !
सिर्फ एक मणिपूरक चक्र के ही जागने भर से शरीर के सभी रोगों का नाश होने लगता है जबकि भारतीय हिन्दू धर्म ग्रन्थों में बहुत से ऐसे अद्भुत योग, आसन व प्राणायाम का वर्णन है जो एक साथ कई चक्रों को जगाते हैं जिनसे पूरा शरीर ही एकदम स्वस्थ और दिव्य होने लगता है। सिर्फ योग, आसन व प्राणायाम कैसे, किसी भी मानव शरीर का बिना किसी मेकअप के, सही में कायाकल्प कर देते हैं !

थायराइड की समस्या और योग उपचार

 थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। और इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।

* यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।

बुजुर्गों के लिए योगासन की जरूरत?

कहा जाता है कि हम जिस वातावरण में रहते हैं उसका हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए प्रकृति के बीच में रहने के साथ मित्रता अच्छे लोगों के साथ करनी चाहिए। वहीं उनकी अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए। जैसा कि हम सब जानते और देखते आ रहे हैं कि, उम्र के बढ़ने के साथ-साथ डायबिटीज, दिल की बीमारी, अल्जाइमर आदि कई क्रॉनिक बीमारियां लग जाती हैं। बुजुर्गों में ब्लड प्रेशर की दिक्कत और रक्त प्रवाह में असंतुलन आदि भी हो जाता है। ऐसे में उनके लिए सुरक्षित योगासन का अभ्यास करके उनके शरीर को फिट रखा जा सकता है और एजिंग के साथ होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। योगासन करने से आपके फेफड़े सही रहते हैं

बुजुर्गों के लिए आसान योगासन त्रिकोणासन

त्रिकोणासन काफी प्रभावशाली और आसान योगासन है, जिसे बुजुर्ग आसानी से कर सकते हैं। बुजुर्गों के लिए योगासन में यह आसन इसलिए भी शामिल किया गया है, क्योंकि यह उनमें आमतौर पर होने वाली कूल्हों की दिक्कत और दर्द को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखता है। इसे करने के लिए अपने पैरों को कंधों के जितना खोलकर आराम से खड़े हो जाएं। अब दाएं पंजे को थोड़ा बाहर की तरफ ले जाएं और बाएं पंजे को अंदर की तरफ करें। अब दोनों हाथों को दोनों तरफ कंधे की सीध में फैला लें। इसके बाद गहरी सांस लें और फिर सांस बाहर छोड़ते हुए सिर और कमर को सामान्य रखते हुए कूल्हों की तरफ से दाई तरफ झुके