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अधोमुख श्वानासन

Downward Facing Dog

अधोमुख श्वान आसन की योग विधि और लाभ

छोटी उम्र में ही जब बाल टूटने और झड़ने शुरु हो जायें तो सही उपचार से बालों का टूटना, झड़ना रोक चेहरे की रौनक को बरकरार रखा जा सकता है।

बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-तनाव, पूर्ण-दिनचर्या, असंतुलित आहार, किसी बिमारी के चलते दवाईयों का प्रभाव, वंशानुगत या फिर अधिक गुस्सा करना भी बाल झड़ने का कारण हो सकता है।

नियमित योगाभ्यास व संतुलित आहार, गाजर, ऑवला, सेब, मौसमी इत्यादि के सेवन से काफी हद तक बालों का झड़ना रोका जा सकता है।

अधोमुख श्वानासन बालों को झड़ने से रोकने में सहायक है। आईए, जानते है इसे ठीक ढंग से करने की विधि, सावधानियाँ व अधिक लाभों के बारे में।

विधि:

  • साफ, समतल ज़मीन पर आसन बिछा वज्रासन में बैठें।

  • श्वास भरते हुए घुटनों के बल सीधे खड़े हो जायें और घुटनों व पैरों को थोड़ा खोल लें।

  • श्वास छोड़ते हुये कमर से आगे की तरफ झुकें व हाथों का ज़मीन पर इस तरह से टिकायें कि शरीर का सारा भार घुटनों व हाथों पर आ जायें।

  • अंगुलियों को खोल हथेली व अंगुलियों को ज़मीन पर अच्छी तरह से जमा लें।

  • पैरों के पंजों को अन्दर की तरफ करें।

  • श्वास छोड़ते हुए घुटनों को ज़मीन से ऊपर उठाते हुए शरीर को मध्य से ऊपर आकाश की तरफ लायें।

  • मेरुदण्ड के अन्तिम छोर को थोड़ा और ऊपर की तरफ करने का प्रयास करें।

  • एड़ियों को पीछे नीचे की तरफ करते हुए ज़मीन पर टिका दें।

  • श्वास सामान्य रखते हुए तीस सैकेण्ड तक रुकें व श्वास भरते हुए वापिस आ जायें।

  • यथा शक्ति क्षमतानुसार 5-6 बार दोहरायें।

लाभ:

  • फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है।

  • मेरुदण्ड लचीला होता है व नाड़ी संस्थान ठीक से काम करता है।

  • तनाव व अवसाद दूर होता है।

  • मस्तिष्क में रक्त की पूर्ति होती है।

  • थायराइट ग्रन्थी को सक्रिय करता है।

  • बाज़ुओं, टांगो, पैरो समेत पूरे शरीर को ताकतवर बनाता है।

सावधानियाँ :-

  • आँखों के रोगी, कन्धों से चोटिल व्यक्ति, उच्चरक्तचाप से ग्रसित लोग ये आसन न करें।

হলাসন

হলাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এই আসনে দেহ ভঙ্গিমা হল (লাঙ্গল)-এর মতো দেখায় বলে এর নামকরণ করা হয়েছে হলাসন (হল + আসন। এর বর্ধিত প্রকরণগুলো হলো― নিরালম্ব হলাসন, পার্শ্ব-হলাসন, সলম্বা হলাসন।

Halasana

Halasana (Sanskrit: हलासन; IAST: halāsana) or Plough pose[1] is an inverted asana in hatha yoga and modern yoga as exercise. Its variations include Karnapidasana with the knees by the ears, and Supta Konasana with the feet wide apart.

ಹಲ್ಲಾಸನ್

ಈ ಭಂಗಿಯಲ್ಲಿ ದೇಹದ ಆಕಾರವು ನೇಗಿಲಿನಂತೆ ಆಗುತ್ತದೆ. ಇದರಿಂದ ಇದನ್ನು ಹಲಾಸನ ಎಂದು ಕರೆಯಲಾಗುತ್ತದೆ. ನಮ್ಮ ದೇಹವನ್ನು ಸುಲಭವಾಗಿ ಹೊಂದಿಸಲು ಹಲಾಸನ್ ಮುಖ್ಯವಾಗಿದೆ. ಇದು ನಮ್ಮ ಬೆನ್ನುಮೂಳೆಯನ್ನು ಯಾವಾಗಲೂ ಚಿಕ್ಕದಾಗಿರಿಸುತ್ತದೆ.

ಈ ಭಂಗಿಯಲ್ಲಿ, ಆಕಾರವು ನೇಗಿಲನ್ನು ಹೋಲುತ್ತದೆ, ಆದ್ದರಿಂದ ಇದನ್ನು ಹಲಾಸನ ಎಂದು ಕರೆಯಲಾಗುತ್ತದೆ.

ಹಲಾಸನ ಮಾಡುವ ವಿಧಾನ:

ഹലാസനം

വിക്കിപീഡിയ, ഒരു സ്വതന്ത്ര വിജ്ഞാനകോശം.

ഇംഗ്ലീഷിലെ പേർ plough_pose എന്നാണ്.

    • മലർന്നു കിടക്കുക.
    • കാലുകൾ ചേർത്തുവയ്ക്കുക.
    • കൈകൾ തലയ്ക്ക് ഇരുവശങ്ങളിലായി ചെവിയോട് ചേർത്ത് നിവർത്തി വയ്ക്കുക.
    • ശ്വാസം എടുത്തുകൊണ്ട് കാലുകൾ രണ്ടും വളയാതെ മുകളിലേക്ക് ഉയർത്തുക.
    • ശ്വാസം വിട്ടുകൊണ്ട് കാലുകൾ രണ്ടും മുട്ടുകൾ വളയാതെ തലയ്ക്ക് പുറകിലായി തറയിൽ മുട്ടിക്കുവാൻ ശ്രമിക്കുക.
    • ശ്വാസം എടുത്തുകൊണ്ട് കാലുകൾ മുകളിലേക്ക് ഉയർത്തുക.
    • ശ്വാസം വിട്ടുകൊണ്ട് കാലുകൾ തറയിൽ വയ്ക്കുക.

    ഗുണം

    ദഹന ശക്തി കൂടും.

    हलासन

    या आसनात शरीराचा आकार नांगरासारखा होतो. यातून हलासना असे म्हणतात. आपले शरीर लवचिक बनविण्यासाठी हलासन महत्वाचे आहे. यामुळे आपली रीढ़ नेहमीच तरूण राहते.

    या पवित्रामध्ये आकार नांगरासारखेच आहे, म्हणून त्याला हलासना असे म्हणतात.

    हलासना करण्याची पद्धतः

    ਹਲਾਸਨ

    ਇਸ ਆਸਣ ਵਿਚ, ਸਰੀਰ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਹਲ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਸ ਨੂੰ ਹਲਸਾਨਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਹਲਸਾਨ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਲਚਕਦਾਰ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹੈ. ਇਹ ਸਾਡੀ ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਜਵਾਨ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ.

    ਇਸ ਆਸਣ ਵਿਚ ਸ਼ਕਲ ਇਕ ਹਲ ਵਰਗੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਸਨੂੰ ਹਲਸਾਨਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.

    ਹਲਸਨਾ ਕਰਨ ਦਾ :ੰਗ:

    ஆலாசனம்

    கட்டற்ற கலைக்களஞ்சியமான விக்கிப்பீடியாவில் இருந்து.

    ஆலாசனம் (Halasana) என்னும் சொல் சமசுகிருத மொழியில் இருந்து வந்ததாகும். "ஆலா என்றால் "கலப்பை" எனவும் ஆசனம் என்றால் நிலை என்றும் பொருளாகும்

    హలాసనము

    వికీపీడియా 

    హలాసనము (సంస్కృతం: हलसन) యోగాలో ఒక విధమైన ఆసనము. నాగలి రూపంలో ఉంటుంది కాబట్టి ఈ ఆసనాన్ని హలాసనమంటారు. కర్ణపీడాసనం, సప్తకోణాసనం ఈ ఆసనానికి వైవిధ్య రూపాలు.

    ఉనికి

    ఈ పేరు సంస్కృత శబ్దం హాల నుడ్ంఇ వచ్చింది. హాల అంటే " నాగలి " అని అర్థం.  ఈ భంగిమను 19 వ శతాబ్దంలో శ్రీతత్వనిధిలో లాంగలాసనం అని వర్ణించారు. దీనిక్కూడా సంస్కృతంలో నాగలి అనే అర్థం.