सूर्य मुद्रा क्या हैं
सूर्य मुद्रा जैसे कि नाम से ही स्पष्ट हैं कि यह सूर्य से जुड़ा हुआ हैं, यह हमारे योग के विभिन्न प्रकार की मुद्राओ में से एक महत्वपूर्ण मुद्रा हैं, यह एक ऊर्जा बूस्टर के तरह कार्य करती है। यह मुद्रा अग्नि तत्व को बढ़ाने के लिए अंगूठे से उंगली को ढक के की जाती हैं, सूर्य मुद्रा का अग्नि तत्व पाचन शक्ति को बढ़ाता हैं इसलिए यह मुद्रा बहुत ही प्रसिद्ध हैं। आइये जानते हैं सूर्य मुद्रा करने का तरीका क्या हैं।
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सूर्य मुद्रा करने के तरीका और लाभ
सूर्य मुद्रा योग का ही एक प्रकार हैं, मोटापा, डायबिटीज, थायरायड आदि समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सूर्य मुद्रा का अभ्यास बहुत ही फायदेमंद होता है। योग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, योग के द्वारा हम अपने शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ा सकते हैं, इस योग से हम बड़ी-बड़ी बिमारियों दूर कर सकते हैं। योग से रोगों को दूर करने का सिद्धांत बहुत ही प्राचीन समय से चला आ रहा हैं। इस लेख में आप सूर्य मुद्रा करने की विधि और उसके लाभ के बारे में जानेंगे।
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सूर्य मुद्रा करने की विधि
सूर्य मुद्रा को करने के लिए हम यहाँ पर आपको कुछ स्टेप बता रहे हैं जिसके बाद आप आसानी से सूर्य मुद्रा को घर पर कर सकते हैं-
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सूर्य मुद्रा को करने के लाभ
सूर्य मुद्रा के बहुत ही अद्भुत लाभ हैं, यह मुद्रा मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार से हमारे लिए लाभदायक हैं, आइये इसके लाभ को हम विस्तार से जानते हैं-
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सूर्य मुद्रा के फायदे शारीरिक ऊर्जा के लिए
सूर्य मुद्रा हमारे शरीर में गर्मी पैदा करता हैं जिससे हमारा शरीर गर्म रहता हैं, यह गर्मी हमारे तब कम आती हैं जब हम शीतल मौसम में होते हैं, अगर आप अधिक ठंडी से परेशान हैं तो आप इसे अपना सकते हैं, इससे आपके शरीर में गर्मी बनी रहेगी।
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सूर्य मुद्रा करने के फायदे पाचन करें ठीक
पाचन को ठीक करने के लिए सूर्य मुद्रा एक अच्छा योग हैं, यह हमारे पाचन को ठीक करता हैं और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता हैं।
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सूर्य मुद्रा के लाभ से वजन कम करें
सूर्य मुद्रा के वैसे तो अनेक लाभ हैं जिनमे से एक यह भी हैं कि यह वजन को कम करने मदद करती हैं, अगर आप भी मोटे होने के कारण अधिक वजन से परेशान हैं तो सूर्य मुद्रा आपके लिए बहुत ही लाभदायक हैं। सामान्यतः प्रसव के बाद जिन महिलाओं का वजन बढ़ जाता हैं तो उनके लिए सूर्य मुद्रा बहुत ही लाभकारी होती हैं, क्योंकि यह पाचन ठीक करती हैं। जिससे यह महिलाओं में वजन कम करने में मदद करती हैं।
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सूर्य मुद्रा से करें बीमारियाँ ठीक
सूर्य मुद्रा हमारे शरीर में अग्नि तत्व को बढ़ा देती हैं जिसके कारण शरीर में गर्मी अधिक हो जाती हैं जो हमें सर्दी जुकाम, कफ, दमा, निमोनिया, अस्थमा, प्लुरीसी जैसी बीमारियों से बचाती हैं, यह शरीर को गर्म रखती हैं इसलिए ठंड के सभी रोगों में लाभकारी हैं। यह हमें सुबह उठ के रोज 10 से 15 मिनिट करनी हैं।
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सूर्य मुद्रा फॉर थाइरोइड
सूर्य मुद्रा थायरायड के रोगों में भी बहुत फायदेमंद हैं, हमारे हाथ की हथेली में थायरायड ग्रन्थि का केंद्र बिंदु स्थित होता हैं, सूर्य मुद्रा में अनामिका उंगली से इस केंद्र बिंदु पर दबाव बनता हैं जिसके कारण थायरायड ग्रंथि में कम स्त्राव के कारण इसे होने वाले रोग मोटापा आदि दूर होते हैं।
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सूर्य मुद्रा करने का समय व अवधि
किसी भी प्रकार के योग को नियमित करने की आवश्यकता होती हैं अतः हमे सूर्य मुद्रा रोज करनी चाहियें, अच्छे परिणाम के लिए हमें यह मुद्रा सुबह और शाम के समय करनी चाहियें, शाम के समय आप सूर्य मुद्रा को सूर्यास्त से पहले कर सकते हैं। यह मुद्रा आप 8 मिनिट से 25 मिनिट तक दिन में तीन बार कर सकते हैं। प्रतेक बार सूर्य मुद्रा करने में कम से कम एक घंटे का अंतराल अवश्य होना चाहिए।
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।