आयुर्वेद एक संपूर्ण स्वस्थ जीवन शैली हॅ
आयुर्वेद अतिप्राचीन चिकित्सा पथ्दति है जिसे आज संपूर्ण विश्व मै मान्यता प्राप्त है आयुर्वेद मात्र औषधि चिकित्सा न होकर एक संपूर्ण स्वस्थ जीवन शैली हॅ । आयुर्वेदानुसार प्राकृतिक जीवन शैली अपनाने से शरीरगत् सप्तधातुआदि के पोषण एवं वात, पित्त, कफादि के समन्वप्रत्येक वह व्यक्ति ज्ञान योगी है जो सोचना सीख गया है, विचार तो सबके भीतर होते हैं, लेकिन उन विचारों को एक दिशा देना हर किसी के बस की बात नहीं, दूसरी बात कि आपके भीतर विचार कौन से हैं? क्या कचरा किताबों के विचार? खुद के विचार या उधार के विचार?
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योग इतिहास
योग दस हजार साल से भी अधिक समय से प्रचलन में है। इससे दिमाग तरोताजा हो जाता है | यह हमें फिर से सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के दर्शन कराता है। ठीक उसी सभ्यता से, पशुपति मुहर (सिक्का) जिस पर योग मुद्रा में विराजमान एक आकृति है, जो वह उस प्राचीन काल में योग की व्यापकता को दर्शाती है। हालांकि, प्राचीनतम उपनिषद, बृहदअरण्यक में भी, योग का हिस्सा बन चुके, विभिन्न शारीरिक अभ्यासों का उल्लेख मिलता है। छांदोग्य उपनिषद में प्रत्याहार का तो बृहदअरण्यक के एक स्तवन (वेद मंत्र) में प्राणायाम के अभ्यास का उल्लेख मिलता है। यथावत, ”योग” के वर्तमान स्वरूप के बारे में, पहली बार उल्लेख शायद कठोपनिषद में आता है
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लॉयन फेस योग
धीरे-धीरे सांस रोकें, अपनी जीभ बाहर करें और आंखों को पूरी तरह खोलें। जीभ को जितना बाहर की ओर खींच सकते हैं उतना निकालें। इससे चेहरे का रक्त प्रवाह बढ़ेगा और त्वचा में कसाव होगा।
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अर्धसेतुबन्धासन से दूर होती हैं स्लिप डिस्क और कमर दर्द की समस्याएं
आसन परिचय : सेतु का अर्थ होता है पूल। सेतुबन्धासन से पहले अर्धसेतुबन्धासन करते हैं। इसमें व्यक्ति की आकृति एक सेतु के समान हो जाती है इसीलिए इसके नाम में सेतु जुड़ा हुआ है।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार योगासन एवं प्राणायाम दोनों का ही संख्यात्मक अभ्यास है |
अभ्यासक्रम में यह शिथिलीकरण व्यायाम एवं योगासन के मध्य में आता है | तथा योगासन एवं प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए हमारे शरीर को तैयार करता है |
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बकासन से चेहरा बने स्वस्थ और सुंदर
बक अर्थात बगुला। इस आसन को करते वक्त बगुले जैसी स्थिति हो जाती है इसी कारण इसे बकासन कहते है
बकासन योग विधि : शुरुआत में इस आसन को करते समय दोनों हाथों की हथेलियों को भूमि पर कुछ इस तरह स्थिर करें कि आपकी अंगुलियां पीछे की ओर तथा अंगुठें आगे की ओर हो। इसके बाद घुटनों को कोहनियां से ऊपर भुजाओं पर स्थिर कर दें।
श्वास अंदर भरके धीरे से आगे की झुकते हुए शरीर के भार को हथेलियों पर संभालते हुए पैरों को भूमि से ऊपर उठाएं। अभ्यास से ही इस स्थिति में हुआ जा सकता है।
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2019 में करें ये 3 योगासन, सालभर रहेंगे स्वस्थ और फिट
बदलती लाइफस्टाइल और बढ़ते प्रदूषण ने हमारी जिंदगी में तमाम तरह के बदलाव किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा अगर कुछ बदला है तो नई तरह की बीमारियों ने अपनी जड़ें जमा ली है। संक्रामक बीमारियां हमारे शरीर पर अटैक करें, इससे पहले हमें खुद की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठा लेने चाहिए, जिससे शरीर रोगमुक्त रहे। दरअसल, आने वाले सालों में प्रदूषण कम होने की उम्मीद कम हैं, ऐसे में खुद को रोगों से लड़ने के लिए तैयार करना होगा। आज हम आपको 3 ऐसे योगासन के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। इन तीन योगासनों की खूबियां ये हैं कि, इसे करने से आप कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं
ये 6 वजहें बताती हैं कि जिम में वर्कआउट से काफी बेहतर है योग करना
बहुत समय से यह सवाल लोगों के मन में है कि योगा और जिम में वर्कआउट में क्या बेहतर है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए योगा किया जाए या जिम जाया जाए। जब हम वर्कआउट और योगा के फायदों के बारे में विश्लेषण करते हैं तो पता लगता है कि योगा करना जिम जाने से कई गुना बेहतर है। चलिए जानते हैं कि वे कौन से कारण हैं जो योगा को जिम जाने से बेहतर बनाते हैं।
वक्त की कमी की वजह से नहीं कर पाते एक्सरसाइज, ऑफिस में कुर्सी पर बैठे-बैठे आजमाएं ये पांच स्टेप्स
आजकल की व्यस्त जीवनशैली में लोगों के पास व्यायाम करने की फुर्सत नहीं होती। ऑफिस में दिन भर बैठे-बैठे काम करने के बाद कई तरह की लाइफस्टाइल-जनित बीमारियों के चपेट में आने के खतरे बढ़ जाते हैं। इसके अलावा गर्दन में दर्द, कमर दर्द, मोटापा आदि की आशंकाएं भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ऐसे व्यायाम लेकर आए हैं जिन्हें आफिस में कुर्सी पर बैठे-बैठे ही कर सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ 5 स्टेप ही फॉलो करने होते हैं।
हफ्तेभर तक करें सिर्फ ये 2 योगासन, बढ़ जाएगा 5kg वजन!
अकसर लोग सोचते हैं कि योग मेडीटेशन है ये वजन बढ़ाने या फिर वज़न घटाने में कहीं से कारगार नहीं हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं योग के जरिए आप वजन नियंत्रण के आश्चर्यजनक परिणाम पा सकते हैं। बिना किसी नुकसान के आप योग का लाभ अच्छी तरह से उठा सकते हैं।
“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।