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शीतली प्राणायम

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। हमारे मुँह का " ० " आकार करके उससे जिव्हा को बाहर निकालना, हमारी जीव्हा भी " ० " आकार की हो जायेगी, उसी भाग से हवा अन्दर खीचनी है। और मुँह बन्द करके से साँस को नाक से बाहर छोड़ दे।

शीतली प्राणायाम करने के लाभ

  1. शरीर की अतिरिक्त गरमी को कम करने के लिये।
  2. ज्यादा पसीना आने की शिकायत से आराम मिलता है।
  3. पेट की गर्मी और जलन को कम करने के लिये।
  4. शरीर पर कहा भी आयी हुई फोड़ी को मिटाने की लिये।