सीत्कारी प्राणायाम
सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। जिव्हा तालू को लगाके दोनो जबड़े बन्द करके लेना और उस छोटी सी जगह से सीऽऽ सीऽऽ करत॓ हुए हवा को अन्दर खीचना है। और मुँह बन्द करके से साँस को नाक से बाहर छोड़ दे। जैसे ए• सी• के फिन्स होते है, उससे ए• सी• के काँम्प्रेसर पर कम दबाव आता है और गरम हवा बाहर फेकने से हमारी कक्षा की हवा ठंडी हो जाती है। वैसे ही हमे हमारे शरीर की अतिरिक्त गर्मी कम कर सकते है।
सीत्कारी प्राणायाम करने के लाभ
- शरीर की अतिरिक्त गरमी को कम करने के लिये।
- ज्यादा पसीना आने की शिकायत से आराम मीलता है।
- पेट की गर्मी और जलन को कम करने के लिये।
- शरीर पर कही़ं भी आयी हुई फोड़ी को मिटाने की लिये।
शीतकारी प्राणायाम क्या है।
शीतकारी प्राणायाम में सांस लेने के दौरान ‘सि’ या ‘सित’ की ध्वनि निकलती है। शीत का मतलब होता है ठंडकपन और शब्द ‘कारी’ का अर्थ होता है जो उत्पन्न हो। इस प्राणायाम के अभ्यास से शीतलता भी उत्पन्न होती है इसलिए इसे ‘शीतकारी कहा गया है। इस अभ्यास को सिसकी श्वास या सितकारी’ भी कहा जाता है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज़्यदा से ज़्यदा करनी चाहिए और शर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करनी चाहिए।
हठप्रदीपिका ग्रंथ में इसको निम्न श्लोक के द्वारा बताता गया है।
सीत्कां कुर्यात्तथा वक्त्रेघ्राणेनैव विजृम्भिकाम्।
एवमभ्यासयोगेन कामदेवो द्वितीयकः।। – ह.प. 2/25
अगर ऊपर दिए गए श्लोक को अच्छी तरह से अध्ययन किया जाए तो इसका अर्थ निकलता है कि मुंह से श्वास लीजिए, सिसकी की ध्वनि उत्पन्न कीजिए और बिना मुंह खोले नाक से श्वास छोड़िए। इसके अभ्यास से कोई भी व्यक्ति दूसरा कामदेव बन सकता है।
शीतकारी प्राणायाम विधि।
- इस प्राणायाम को करना बहुत आसान है। इसका अभ्यास आप बहुत सरलता से कर सकते हैं।
- सबसे पहले आप पद्मासन या किसी भी आरामदायक आसन में बैठें।
- आंखों को बंद करें।
- अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा या अंजलिमुद्रा में घुटनों पर रखें।
- तालु में जीभ को कसकर सटाएं।
- दोनों जबड़ों को दातों से भींचकर रखें और होंठ खुले रखें।
- ‘सि’ की सिसकी ध्वनि के साथ मुंह से वायु अंदर खींचें।
- अपने हिसाब से सांस को अंदर रोके रखें।
- उसके बाद दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे श्वास छोड़े।
- यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप शुरुवाती दौड़ में 10 से 15 बार करें और फिर धीरे धीरे इसे प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक करें।
शीतकारी प्राणायाम लाभ।
- वैसे तो शीतकारी प्राणायाम बहुत सारे फायदे हैं लेकिन यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभ के बारे में बताया जा रहा है।
- तनाव कम करने में: इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आप तनाव को बहुत हद तक कम कर सकते हैं।
- चिंता को दूर भागने में: यह प्राणायाम चिंता को कम करने में बहुत अहम रोल निभाता है।
- डिप्रेशन के लिए रामबाण है: अगर आप डिप्रेशन से ग्रसित हैं तो इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करनी चाहिए। यह डिप्रेशन को कम करने में रामबाण का काम करता है।
- क्रोध: यह प्राणायाम गले और क्रोध की बीमारियों के लिए लाभकारी होता है। यह आपके गुस्सा को भी कम करता है।
- भूख और प्यास: भूख और प्यास को नियंत्रित करने में मददगार होता है।
- रक्तचाप कम करता है : इस प्राणायाम से ठंडकपन का अहसास होता है। यह शरीर में शीतलता लाती है और रक्तचाप कम करता है।
- पित्त दोष: पित्त दोष (गर्मी) के असंतुलन से होने वाली बीमारियों में फायदेमंद होता है।
- हार्मोन्स के स्राव: जननांगों में हार्मोन्स के स्राव को नियंत्रित करता है।
- वासना : वासना की मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को कम करता है।
- शांत करने में: चूंकि यह प्राणायाम आपके शरीर को शीतलता प्रदान करती है जिसके कारण यह आपको शांत करने में अहम् भूमिका निभाता है।
- स्वास्थ्य के लिए: यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसका नियमित अभ्यास से आप बहुत सारे परेशानियों से बच सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम सावधानिया।
- सर्दी में इस प्राणायाम को न करें।
- खांसी या टॉन्सिल से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- कब्ज के पुराने मरीजों को भी ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- सर्दियों में इस प्राणायाम से बचें
- जिनका रक्तचाप कम रहता हो उन्हें इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।