Skip to main content

स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता की योग चिकित्सा

स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता की योग चिकित्सा

मनुष्य ने स्वयं की गलतियों से शरीर को रोगी और अपूर्ण बना दिया | योग अपने आप में पूर्ण वैज्ञानिक विद्या है | हमारे ऋषियों ने योग का प्रयोग भोग के वजाय आध्यात्मिक प्रगति करने के लिए जोर दिया है जो नैतिक दृष्टि से सही भी है | परन्तु ईश्वर की सृष्टि को बनाये रखने के लिए संसारिकता भी आवश्यक है, वीर्यवान व्यक्ति ही अपना सर्वांगीण विकास कर सकता है,संतानोत्पत्ति के लिए वीर्यवान होना आवश्यक है पौरूषवान (वीर्यवान) व्यक्ति ही सम्पूर्ण पुरुष कहलाने का अधिकारी होता है | वीर्य का अभाव नपुंसकता है इसलिए मौज-मस्ती के लिए वीर्य का क्षरण निश्चित रूप से दुखदायी होता है | ऐसे व्यक्ति स्वप्नदोष,शीघ्रपतन और नपुंसकता जैसे कष्ट सहने को विवश होते हैं |

1. वज्रोली क्रिया :
**********************

जब भी मूत्र त्याग करे तब एकदम से मूत्र को रोक ले .कुछ सेकेण्ड रोकें ..फिर नाड़ियों को ढीला छोड़ें और मूत्र निकलने दे ..पुनः रोके इस तरह मूत्र त्याग के दौरान कई बार इस क्रिया को करें | इस क्रिया के द्वारा नाड़ियों में शक्ति आएगी .फिर वीर्य के स्खलन को भी आप कंट्रोल कर सकेंगे | हमारा मस्तिष्क मूत्र त्याग व वीर्य स्खलन में भेद नही कर सकता ….यही कारण है कि इस क्रिया द्वारा स्खलन के समय में उसी अनुपात में बढ़ोत्तरी होती है जिस अनुपात में आप मूत्र त्याग के समय कंट्रोल कर लेते है |

2. बाह्य कुम्भक :
********************

लाभ :
——-
1- इस प्राणायाम से मन की चंचलता दूर होकर वृत्ति निरोध होता है |

2- इससे बुद्धि सूक्ष्म एवं तीव्र होता है |

3- वीर्य स्थिर होकर स्वप्नदोष और शीघ्रपतन छुटकारा मिलता है |

विधि :
——-
किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठकर पूरी शक्ति से श्वास को एक बार में ही
बाहर निकल दें |

श्वास को बाहर निकालकर मूलबंध (गुदा द्वार को संकुचित करें) और उड्डीयान
बंध (पेट को यथाशक्ति अंदर सिकोड़ें) लगाकर आराम से जितनी देर रोक
सकें,श्वास को बाहर ही रोककर रखें |

जब श्वास अधिक समय तक बाहर न रुक सके तब बंधों को खोलकर धीरे-धीरे श्वास
को अंदर भरें | यह एक चक्र पूरा हुआ |

श्वास भीतर लेने के बाद बिना रोके पुनः बाहर निकालकर पहले की तरह बाहर ही
रोककर रखें | इस प्रकार 3 से २१ चक्र किये जा सकते हैं |

सावधानी :
———–
यह प्राणायाम प्रातः खाली पेट करें |
श्वास बाहर इतना नही रोकना चाहिए कि लेते समय झटके से श्वास अंदर जाए और
उखड़े हुए श्वास को 5-6 सामान्य श्वास लेकर ठीक करना पड़े |
प्राणायाम के 30 मिनट बाद ही कुछ खाएं – पियें |

3. अश्विनी मुद्रा :
 

लाभ :
1- इस मुद्रा के निंरतर अभ्यास से गुदा के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
2- शरीर में ताकत बढ़ती है तथा इस मुद्रा को करने से उम्र लंबी होती है।
3- माना जाता है कि इस मुद्रा से कुण्डलिनी का जागरण भी होता है।
4- यह मुद्रा शीघ्रपतन रोकने का अचूक इलाज है |
5- अश्वनी मुद्रा से नपुंसकता दूर होती है |

विधि :
कगासन में बैठकर (टॉयलैट में बैठने जैसी अवस्था) गुदाद्वार को अंदर
‍खिंचकर मूलबंध की स्थिति में कुछ देर तक रहें और फिर ढीला कर दें। पुन:
अंदर खिंचकर पुन: छोड़ दें। यह प्रक्रिया यथा संभव अनुसार करते रहें और
फिर कुछ देर आरामपूर्वक बैठ जाएं।

विशेष

यह क्रिया दिन में कई बार करें, एक बार में कम-से-कम 50 बार अश्वनी मुद्रा करें |

url

Article Category

Article Related

Title
पैंक्रियास के लिए योग हलासन
पैंक्रियास के लिए योग गोमुखासन
पैंक्रियास के लिए योग
पादहस्तासन योग करने करते समय यह सावधानी रखें
पादहस्तासन योग करने फायदे शारीरिक ग्रंथि को उत्तेजित करने में
पादहस्तासन योग के लाभ रक्त परिसंचरण में
पादहस्तासन योग करने फायदे हाईट बढ़ाने में
पादहस्तासन योग करने लाभ पाचन सुधारने में
पादहस्तासन योग करने फायदे तनाव कम करे
शुरुआती लोगों के लिए पादहस्तासन योग करने की टिप
पादहस्तासन योग करने से पहले करें यह आसन
पादहस्तासन योग करने का तरीका और लाभ
पीलिया रोग के लिए योग निद्रा
अग्न्याशय के लिए योग पश्चिमोत्तानासन
पैंक्रियास (अग्नाशय) के लिए योग
बुजुर्गों के लिए योगासन- बद्धकोणासन
बुजुर्गों के लिए योगासन- शलभासन
सर्वाइकल के लिए योग : भुजंगासन
योगासन से पाएं साफ और निर्मल त्वचा
योग द्वारा जोड़ों के दर्द का उपचार
सर्वाइकल के लिए योग : मत्स्यासन
कसरत, योग और फ़िटनेस की आवश्यकता
बुजुर्गों के लिए आसान योगासन : कटिचक्रासन
योग से शरीर के आठ ग्लैंड करते हैं सुचारू रूप से काम
सर्वाइकल के लिए योग : सूर्य नमस्कार
योग से जुड़ी सात भ्रांतियां
योग क्या है ? योग के 10 फायदे
खूबसूरती को लंबे समय तक बनाए योग
क्या योग इस्लाम विरोधी है?
योग’ और ‘मेडिटेशन’ के बीच क्या अंतर है?
दुनिया को क्यों है योग की ज़रूरत
योग करें और किडनी को मजबूत बनाए
कर्मयोग से तात्पर्य
योग करते समय रहें सावधान... और बनें स्वास्थ्य
योग क्या है
योग और जिम में से क्या बेहतर है?
प्रेगनेंसी के समय में योगा
दिमाग के लिए कुछ योगासन
स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता की योग चिकित्सा
योग का जीवन में महत्व
योग मुद्रा क्या है
चित्त की सभी वृत्तियों को रोकने का नाम योग है
श्वेत प्रदर(ल्यूकोरिया) में योग
ये 10 योगासन करने से दूर होती है थायरायड की बीमारी
यौगिक ध्यान से लाभ
योग क्या है योगासनों के गुण एवं योगाभ्यास के लिए आवश्यक बातें
योग से समृद्ध होता जीवन
योगासन दिलाए पीरियड्स के दर्द में आराम
योग के आसन दूर कर सकते हैं डिप्रेशन
​​कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग