वृष-भासन रोज करें और पाये परफेक्ट फिगर

आकर्षक फिगर के लिए अधिकतर लड़कियां डाइटिंग करती हैं, लेकिन डाइटिंग करने से शरीर सुडौल नहीं होता, बल्कि दुर्बल हो जाता है। इसीलिए आकर्षक फिगर पाने के लिए योगासन से अच्छा कोई उपाय नहीं है। वृष-भासन एक ऐसा ही आसन है जिसके नियमित अभ्यास से चेहरे की चमक बढ़ती है और फिगर आकर्षक बन जाता है।

वृष-भासन की विधि

 

पेट-पीठ को स्वस्थ बनाए उष्ट्रासन

वर्तमान युग में हममें से अधिकांश व्यक्तियों की आम शिकायत या तो पीठ के बारे में होती है या पेट के बारे में। उष्ट्रासन के नियमित अभ्यास से इन दोनों परेशानियों से हम बच सकते हैं। 

गर्मियों में मोटा होने के लिए खाएं चॉकलेट

चॉकलेट का सेवन गर्मियों में भी किया जा सकता है, यह वजन बढ़ाने में मदद करती है। डार्क चॉकलेट में बहुत अधिक मात्रा में वसा और कैलोरी पाया जाता है। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होता है। यदि कोई व्यक्ति गर्मी में मोटा होना चाहता है तो उसे प्रतिदिन ऐसा डार्क चॉकलेट खाना चाहिए, जिसमें कम से कम 70 प्रतिशत कोको मौजूद हो।

गर्मी में मोटा होने के लिए खाएं ताजे फल

फलों में सभी प्रकार के पोषक तत्व और विटामिन होते है जो वजन बढ़ाने में मदद करते है। गर्मियों के मौसम में आपको कई प्रकार के फल आसानी से मिल जायेंगें। गर्मी में मोटे होने के उपाय में आप आम, सेब, केला आदि फलों का सेवन करें। केला में पोटेशियम की अच्‍छी मात्रा होती है। एक्सरसाइज के दौरान शरीर में इलेक्‍ट्रोलाइट की कमी हो सकती है जो थकान और कम ऊर्जा दर्शाता है। फलों में पानी की मात्रा भी अधिक होती है।

गर्मियों में मोटा होने के उपाय में खाएं पनीर

पनीर में फैट और कैलोरी की मात्रा होती है। यह स्वाद में तो अच्छा होता ही है इसके साथ ही यह प्रोटीन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है। प्रोटीन को आप अपने खाने शामिल करने के लिए पनीर की सब्जी भी खा सकते हैं, जिससे आपको अतिरिक्त कैलोरी मिले। अगर आप गर्मियों में वजन बढ़ाना चाहते हैं तो पनीर का सेवन जरुर करें।

सेल्फ कांफिडेंस बढ़ाएँ

आत्म विश्वास सेहत और सफलता का आधार है। कमजोर आत्म विश्वास से बहुत सारी शारीरिक और मानसिक बीमारियों का जन्म होता है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए शरीर और मन में स्वस्थ्‍य अनुभव करना जरूरी है। आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए कुछ योगा टिप्स।

मौन : योग में कहा गया है कि मौन से मन की शक्ति का विकास होता है। देखने और समझने की क्षमता बढ़ती है और संयम का जन्म होता है। दिन के 12 घंटे में सिर्फ एक घंटे के लिए मन के भीतर की प्रत्येक गतिविधि को रोक दें।

परफेक्ट फिगर के लिए करें त्रिकोणासन

यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इस आसन में शरीर में अलग-अलग तीन कोण बनते हैं, इसलिए इसको त्रिकोणासन कहा जाता है।

योग से मिलती है तनाव मुक्ति

यौगिक दृष्टि से शरीर और मन के साथ साथ भावना एक दूसरे से इस प्रकार अविभक्त होती हैं कि वे कोशिश करने के बावजूद भी अलग  नहीं की जा सकती हैं |मन केवल मष्तिष्क को सोचने का प्रेरक ही नहीं अपितु वह बुद्धिपुंज भी है जो शरीर के अंग प्रत्यंग और सूक्ष्मतम भागों को भी संचालित करता है |शरीर को प्रभावित करने वाली प्रत्येक वस्तु या प्रक्रिया का प्रभाव मन पर अवश्य पड़ता है और मन का शरीर पर |चूंकि मन सम्पूर्ण शरीर में अंतर्व्याप्त है और उसके प्रत्येक अणु में  प्रविष्टि है ,इसलिए यौगिक क्रियाओं का जिन्हें हम योगासन कहते हैं ,मन और भावनाओं पर भी उतना ही प्रभाव डालती हैं |यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि स्वाभा

स्तन कैंसर के उपचार के बाद योग करना लाभदायक l

 एक शोध में पता चला है कि स्तन कैंसर के इलाज के बाद यदि कम से कम तीन महीनों तक नियमित रूप से योगाभ्यास किया जाए , तो इससे थकान और सूजन काफी हद तक कम होती है। अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर और मनोरोग विशेषज्ञ जेनिस कीकॉल्ट-ग्लासेर ने कहा, "कुछ महीनों तक लगातार योगाभ्यास करने से स्तन कैंसर से उबरे मरीजों को काफी फायदा पहुंचता है।" उन्होंने कहा, "नियमित योगाभ्यास के सकारात्मक परिणाम उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जिनको थकान और सूजन की समस्या रहती है।" योगा करने से हमारे शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं जिसका अनुमान शायद ही हम इस जिंदगी में लगा सकते हैं।

पेट की चर्बी घटाए तोलांगुलासन

वजन तोलते वक्त दोनों तराजू संतुलन में रहते हैं अर्थात तराजू का कांटा बीचोंबीच रहता है उसी तरह इस योगासन में भी शरीर का संपूर्ण भार नितंब पर आ जाता है और व्यक्ति की आकृति ताराजू जैसी लगती है इसीलिए इसे तोलांगुलासन कहते हैं।

आसन विधि : सर्वप्रथम दण्डासन में बैठ जाएं। फिर शरीर के भार को नितंबों पर संतुलित करते हुए श्वास अन्दर लें। अब थोड़ा-सा पीछे झुकते हुए हाथ-पैरों को भूमि पर से धीरे-धीरे ऊपर उठा दें। कुछ देर रुकने के बाद पुन: दण्डासन में लौट आएं।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।