एक्सरसाइज करने के लिए हमेशा ट्रेनर की मदद लें

अगर आप पहली बार जिम जा रहे है और आपको ठीक से एक्सरसाइज करने के बारे में जानकारी नहीं है तो हमेशा अपने ट्रेनर की ही मदद लें बिना ट्रेनर की मदद के अकेले एक्सरसाइज करने की कोशिश ना करें इससे आपको चोट लग सकती है या आपकी हड्डियों को नुकसान पहुँच सकता है।

एक्सरसाइज मशीनों को बिजी करके ना रखें

पहली बार जिम जाने की ख़ुशी अलग ही होती है ये बात बिलकुल सही है लेकिन इस ख़ुशी में आप यह ना भूल जायें की और भी लोग एक्सरसाइज करने का इंतेजार कर रहे है। एक ही मशीन पर घंटों तक एक्सरसाइज ना करें, इससे दूसरों को एक्सरसाइज करने में परेशानी हो सकती है। अपने ट्रेनर के निर्देशानुसार से हर मशीन का इस्तेमाल तय समय तक ही करें ताकि आपकी वजह से किसी अन्य व्यक्ति को एक्सरसाइज करने में परेशानी ना हों। साथ ही एक्सरसाइज करते समय फ़ोन या मेसेज ना करें। इससे दूसरों को डिस्टर्ब हो सकता है।

शरीर की शक्ति बढ़ाने के उपाय हाइड्रेट रहे

हमारे शरीर के कुल‍ वजन का 70 प्रतिशत हिस्‍सा पानी होता है जो ऊर्जा उत्‍पादन सहित शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रहने में सहायक होता है। इसका मतलब यह है कि शरीर में पानी की कमी ऊर्जा की कमी सहित कई गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति का कारण हो सकता है। आप अपने शरीर की ताकत को बढ़ाने के लिए अपने शरीर को हाइड्रेट रखें। यह आपके शरीर में ऊर्जा के स्‍तर को बढ़ाने और थकान को कम करके आपकी सहनशक्ति को बढ़ा सकता है। इसके लिए आप नियमित अंतराल में दिन भर पर्याप्‍त मात्रा में पानी पिएं। इसके अलावा आप घर पर बने ताजे फलों के जूस का भी सेवन कर सकते हैं। आप अपने दैनिक आहार में सूप, स्‍टॉज और शोरबा आदि को भी शामिल कर सकते हैं ज

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।