स्तन का आकार बढ़ाने के लिए ऐसे करें उष्ट्रासन

जमीन पर चटाई बिछाएं और घुटने के बल बैठ जाएं।
अपने हाथों को कमर पर रखें।
अब धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और अपनी एड़ियों को पकड़ें।
अपने नितंबों को हवा में दबाएं और धीरे-धीरे अपने सिर को फर्श की ओर नीचे लाएं।
अब कुछ देर तक इस पोजीशन में बने रहें और धीरे-धीरे दस तक गिनें और वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।
दो गहरी सांसें लें और कम समय में बड़े एवं गोल स्तन पाने के लिए इस आसन को 10 बार दोहराएं।

ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए योग उष्ट्रासन या कैमल पोज

स्तन का आकार बढ़ाने के लिए उष्ट्रासन एक बहुत सामान्य सा योग है जिसे कहीं भी किया जा सकता है। यह ब्रेस्ट के आसपास की मांसपेशियों के ऊतकों को बढ़ाता है जिसके परिणामस्वरूप आपके स्तनों में काफी तेजी से रक्त का प्रवाह होता है और स्तन बढ़ते हैं। इसके अलावा उष्ट्रासन मुद्रा आपके पेट को टाइट रखती है और छाती का निचला हिस्सा गोलाकार एवं लचीलापन बनता है। उष्ट्रासन या कैमल पोज को सुबह या शाम को खाली पेट करना चाहिए और इस मुद्रा में 30 से 60 सेकेंड तक बने रहना चाहिए।

छाती को सही शेप देता है ये आसन

योगा करने से आपके शरीर को किसी भी प्रकार का साइड इफेक्‍ट नहीं होगा और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी मिलेगा। स्तनों को बड़ा करने के लिए योग आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा सकता है, इसलिए जब भी समय मिले तब इन योगासनों को करना शुरू कर दें।

ब्रेस्ट साइज बढ़ाना चाहती हैं, तो आज से शुरू कर दें योग

क्या आप विश्वास करेंगीं अगर मैं कहूं कि योग आपके स्तनों को बड़ा कर सकता है?

OSHO: The Spoken Word Is Throbbing with Life

Osho has often said that the spoken word is chosen over then written by all the great mystics, speaking directly to their audiences, their people, as way of the transmission of the truth they attempt to impart. “The written word is like a corpse, and the spoken word is throbbing with life – at least for the moment when somebody is there to listen to it. Between the listener and the speaker, for a moment, there is an alive vibration.

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।