स्वस्थ लिवर के लिए योग धनुरासन

धनुरासन योग उन लोगों के लिए अद्भुत काम करता है जो फैटी लीवर की बीमारी से पीड़ित हैं। यह योग लीवर को उत्तेजित, मजबूत और स्ट्रेच करता है, और इसमें जमे वसा को शरीर के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।

इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं, दोनों हाथों को शरीर के समांतर रखें और पैरों को पीछे की ओर मोड़ लें।
अब अपने हाथों को पीछे ले जाएं और दोनों पैरों को दोनों हाथों से पकड़ लें।
इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।
अंत में दोनों हाथों को खोल के अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।
 

लीवर को मजबूत करने के लिए योग गोमुखासन

गोमुखासन योग को काउ फेस पोज (Cow Face Pose) के नाम से भी जाना जाता है। यह लीवर में होने वाली सिरोसिस (cirrhosis) जैसी समस्याओं के इलाज के लिए सबसे अच्छे आसनों में से एक है। जब आप यकृत सिरोसिस (liver cirrhosis) से पीड़ित होते हैं, तो ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह को लीवर के घाव के निशान वाले ऊतकों द्वारा रोका जाता है। जिससे आपका लीवर विषाक्त पदार्थों और रोग जनक बैक्टीरिया को हटाने और वसा को चयापचय करने में असमर्थ हो जाता है। गोमुखासन योग करने से आपका लिवर उत्तेजित हो जाता है, जिससे ऑक्सीजन और रक्त इसके माध्यम से मुक्त रूप से प्रवाहित होते है।

स्वस्थ लिवर के लिए योग अर्धमत्स्येन्द्रासन

अर्धमत्स्येन्द्रासन को फिश पोज (Fish Pose) के बादशाह के रूप में भी जाना जाता है। यह योग लिवर के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है। यह लीवर पर दबाव डालने में मदद करता है और फाइब्रोसिस (fibrosis), एपोप्टोसिस (apoptosis), सूजन और तनाव से क्षतिग्रस्त लीवर को मजबूत और उत्तेजित करता है।

लिवर के लिए योगासन

लिवर खराब होने से शरीर की कार्यक्षमता ना के बराबर हो जाती है। इन योग को करने से आप लिवर की कमजोरी, फैटी लीवर, लिवर सिरोसिस जैसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं। कुछ ऐसे योगासन हैं जो आपके लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं! क्या आप जानना चाहेंगे कि वे कौन से हैं? इसके लिए पूरा लेख पढ़ें! अपने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए आप निम्न योग आसन को करें –

स्वस्थ लिवर के लिए योग

स्वस्थ लिवर के लिए करें योग, लीवर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इसलिए इसका अच्छी तरह से काम करना आवश्यक है। क्या आप जानतें हैं लिवर को स्वस्थ्य रखने का एक सरल और प्रभावी तरीका योग है। लीवर कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन का चयापचय करने में मदद करता है। लीवर का सही तरीके से कार्य ना करना आपको अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त कर सकता है। लीवर में होने वाले गंभीर रोग जैसे पीलिया आदि आपके लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। संतुलित आहार का सेवन करना साथ में धूम्रपान और शराब का सेवन न करना आपके लिवर को स्वस्थ रखने के कुछ तरीके हैं। आप अपने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए योग का सह

OSHO: I Respect Money (Preview)

"Life needs money because life needs comforts, life needs good food, life needs good clothes, good houses. Life needs beautiful literature, music, art, poetry. Life is vast! And a man who cannot understand classical music is poor. He is deaf. He may hear -- his eyes, his ears, his nose, all his senses will be perfectly right medically -- but metaphysically... ============================================ A new full length talk available everyday. Plus a collection of talks on subjects that matter to you: love, meditation, psychology, emotions, sex, money, power and many others.

प्रसव के बाद करें गोमुखासन योग

गोमुखासन योग को काउ फेस पोज़ के नाम से भी जाना जाता है। यह योग आसन महिलाओं के गर्दन दर्द और कन्धों के दर्द को ठीक करता है। गोमुखासन योग करने से आपका लिवर उत्तेजित हो जाता है, जिससे ऑक्सीजन और रक्त इसके माध्यम से मुक्त रूप से प्रवाहित होते है।

गर्भावस्था के बाद योग सेतुबंध आसन

डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए सेतुबंध योग आसन बहुत ही फायदेमंद होता हैं।  यह योग पाचन और गले की खराश जैसी स्थितियों से राहत प्रदान करने में भी मदद करता है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।