Skip to main content

योग आसन का राजा किसे कहा जाता है?

योग आसन का राजा किसे कहा जाता है?

ठयोग कहता है कि, अगर सिद्धासन सिद्ध हो जाए तो बाकी आसनों का क्या प्रयोजन…?

हठयोग में 8400000 आसनों का जिक्र है। जिसमें से 84 आसन मुख्य हैं। उसमें से भी 4 आसन सबसे मुख्य हैं, सिद्धासन, पद्मासन, भद्रासन और सिंह आसन और इन चारों में से भी दो श्रेष्ठ आसन है, पद्मासन और सिद्धासन इसमें से भी सिद्धासन सर्वश्रेष्ठ आसन है।

सिद्धासन करने के लिए बाएं या दाएं पांव की एड़ी को शिवनी नाड़ी (लिंग और गुदा के बीच में चार अंगूल का गेप है उसको शिवनी नाड़ी बोलते हैं) पर लगाना चाहिए। दूसरा पेर लिंग के ऊपर रखकर दोनों पैरो को जांघो के बीच में फसा देना चाहिए। कमर सीधी, मन शांत और विचारों का आगमन सुन्य करने का अभ्यास करना चाहिए।

स्वामी स्वात्माराम जी के अनुसार, "जिस तरह केवल कुम्भक के समान कोई कुम्भक नहीं, खेचरी मुद्रा के समान कोई मुद्रा नहीं, नाद के समय कोई लय नहीं; उसी प्रकार सिद्धासन के समान कोई दूसरा आसन नहीं है।"

गुदा मार्ग के चार अंगुल ऊपर कंद होता है। जहां से संपूर्ण शरीर की ऊर्जा संचालित होता है और वहीं से मूलाधार चक्र और कुंडलिनी शक्ति जागृत होने की अवस्था उत्पन्न होती है। शिवनी नाडियो पर दबाव पड़ने से कंद मैं कंपन उत्पन्न होता है, और उससे कुंडलिनी जागृत होकर मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र की तरफ गति करने लगती है।

सिवनी नाड़ियों पर दबाव पड़ने से ब्रह्मचर्य में मदद मिलती है। क्योंकि सिवनी नाडियो से ही वीर्य प्रवाहित होता है।

सिद्धासन में बैठने से त्रिबंध(उड्डियान बंध जालंधर बंध और मूलबंध) अनायास ही लग जाते हैं। जिनके बिना उर्जा का उर्द्धगामी होना असंभव है।

इस आसन का नाम सिद्धासन इसीलिए रखा गया है क्योंकि इससे बहुत जल्दी ही सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं।

सिद्धासन किसको नहीं करना चाहिए…?

साधारण लोगों को सिद्ध आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

गृहस्थी लोगों को सिद्ध आसन का अभ्यास अधिक देर तक नहीं करना चाहिए या बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

सिद्धासन में उन्हीं लोगों को बैठना चाहिए जो योग में आगे बढ़ना चाहते हैं। जो लोग शारीरिक लाभ प्राप्त करने के लिए योग अभ्यास करना चाहते हैं। ऐसे लोगो को सिद्धआसन में बिल्कुल भी नहीं बैठना चाइए।

ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सिद्धासन में अधिक देर बैठने से मन अंतर्मुखी होकर अध्यात्म की ओर अग्रसर हो जाता है और अखंड ब्रह्मचर्य की प्राप्ति होती है।

कोई भी आसन शारीरिक स्थिति मात्र नहीं है, इसमें हमारी शारीरिक स्थिरता के साथ मन, वाणी और अंतरात्मा की स्थिरता भी जरूरी है। अगर आसन के साथ मन, वाणी और अंतरात्मा की स्थिरता नहीं है, तो वह मात्र साधारण व्यायाम बनकर ही रह जाएगा।

साधारण लोग या गृहस्थी सिद्ध आसन की जगह पद्मासन का अभ्यास करेंगे तो उनके लिए यह उत्तम है।

Article Category

Article Related

Title
पैंक्रियास के लिए योग हलासन
पैंक्रियास के लिए योग गोमुखासन
पैंक्रियास के लिए योग
पादहस्तासन योग करने करते समय यह सावधानी रखें
पादहस्तासन योग करने फायदे शारीरिक ग्रंथि को उत्तेजित करने में
पादहस्तासन योग के लाभ रक्त परिसंचरण में
पादहस्तासन योग करने फायदे हाईट बढ़ाने में
पादहस्तासन योग करने लाभ पाचन सुधारने में
पादहस्तासन योग करने फायदे तनाव कम करे
शुरुआती लोगों के लिए पादहस्तासन योग करने की टिप
पादहस्तासन योग करने से पहले करें यह आसन
पादहस्तासन योग करने का तरीका और लाभ
पीलिया रोग के लिए योग निद्रा
अग्न्याशय के लिए योग पश्चिमोत्तानासन
पैंक्रियास (अग्नाशय) के लिए योग
बुजुर्गों के लिए योगासन- बद्धकोणासन
बुजुर्गों के लिए योगासन- शलभासन
सर्वाइकल के लिए योग : भुजंगासन
योगासन से पाएं साफ और निर्मल त्वचा
योग द्वारा जोड़ों के दर्द का उपचार
सर्वाइकल के लिए योग : मत्स्यासन
कसरत, योग और फ़िटनेस की आवश्यकता
बुजुर्गों के लिए आसान योगासन : कटिचक्रासन
योग से शरीर के आठ ग्लैंड करते हैं सुचारू रूप से काम
सर्वाइकल के लिए योग : सूर्य नमस्कार
योग से जुड़ी सात भ्रांतियां
योग क्या है ? योग के 10 फायदे
खूबसूरती को लंबे समय तक बनाए योग
क्या योग इस्लाम विरोधी है?
योग’ और ‘मेडिटेशन’ के बीच क्या अंतर है?
दुनिया को क्यों है योग की ज़रूरत
योग करें और किडनी को मजबूत बनाए
कर्मयोग से तात्पर्य
योग करते समय रहें सावधान... और बनें स्वास्थ्य
योग क्या है
योग और जिम में से क्या बेहतर है?
प्रेगनेंसी के समय में योगा
दिमाग के लिए कुछ योगासन
स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता की योग चिकित्सा
योग का जीवन में महत्व
योग मुद्रा क्या है
चित्त की सभी वृत्तियों को रोकने का नाम योग है
श्वेत प्रदर(ल्यूकोरिया) में योग
ये 10 योगासन करने से दूर होती है थायरायड की बीमारी
यौगिक ध्यान से लाभ
योग क्या है योगासनों के गुण एवं योगाभ्यास के लिए आवश्यक बातें
योग से समृद्ध होता जीवन
योगासन दिलाए पीरियड्स के दर्द में आराम
योग के आसन दूर कर सकते हैं डिप्रेशन
​​कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग