OSHO: I Am Ignorant

For years Osho has spoken to a worldwide audience on timeless issues such as meditation, freedom, love, happiness, and enlightenment. In these talks, the human mind is put under the microscope as never before, analyzed to the smallest wrinkle. In the process Osho exposes hypocrisy and humbug wherever he sees it.

शुरुआती योगा अभ्यास दिन 15

यह शुरुआती योगा अभ्यास का दिन 15 है । यह सीरीज़ इस तरह से बनाया गया है कि कोई भी व्यक्ति योगा को आराम से समझ पाए और योग का लाभ उठा सके । इस वीडियो में मैंने समझाया गया है * सुखासन * बद्धकोणासन * जानुशीर्षासन * पश्चिमोत्तानासन * उत्तानासन * मरीच्यासन * शवासन * भस्त्रिका ========================== आप मुझसे इंस्टाग्राम पे कनेक्ट कर सकते हैं https://www.instagram.com/prakash.shristi/

मन को शांत करने के लिए मेडिटेशन करें

चिंता मुक्त रहने के लिए मेडिटेशन करना सबसे अच्छा और प्रभावी तरीका है। यह मेडिटेशन योग दिमाग में चल रही उथल पुथल को शांत करके दिमाग को आराम देता है। मेडिटेशन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब गहरी लंबी साँस लें और छोड़ें। इसे योग को आप अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते है।

शवासन योग से शांत करें भावनात्मक उथल-पुथल को

शवासन योग आसान को आराम की मुद्रा कहा जाता है, क्योंकि इसे सभी योग आसान को करने के बाद में किया जाता है। मन को शांत और प्रसन्न रखने में शवासन योग आपकी मदद कर सकता है। टेंशन को दूर करने के लिए शवासन योग आसन एक बहुत ही अच्छा माध्यम है।

मूड स्विंग के लिए योग में करें विपरीत करणी

विपरीता करणी एक संस्कृत शब्द है जो उल्टे होने के एक कार्य को दर्शाता है। यह मन को शांत करने और मूड स्विंग आदि से राहत देता है। विपरीत करणी योग करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथ और पैरों को जमीन पर सीधा रखें।

अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर उठायें और अपने ऊपर के शरीर को फर्श पर ही रखा रहने दें। अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री कोण तक ऊपर उठायें। आप आराम पाने के लिए अपने कूल्हों के नीचे किसी तकिये या कंबल को मोड़ के रखें लें। अपनी आँखों को बंद करें और इस स्थिति में आप कम से कम पांच मिनट के लिए रुकें।

माइंड फ्रेश करने के लिए करें सुप्त बद्ध कोणासन योग

अपने दिमाग में चल रही कई प्रकार की परेशानी से राहत पाने में सुप्त बद्ध कोणासन योग आपकी सहायता कर सकता है। योग आपके दिमाग को तनाव मुक्त करके माइंड फ्रेश करने में आपकी मदद करता है।

सुप्त बद्ध कोणासन योग को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को साफ जगह में बिछा के दोनों पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। इसके बाद दोनों पैर को अपनी ओर मोड़ लें और दोनों पैरों के पंजों से पंजे मिलाएं। अब हाथों को ऊपर करके, पीछे की ओर फर्श पर लेट जाएं। इस योग को आप 2 से 3 मिनिट के लिए करें।

बालासन योग करने के लाभ मन शांत करने में

बालासन या चाइल्ड पोज़ से मस्तिष्‍क को शांति दी जा सकती है। बालासन योग को करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर वज्रासन में या घुटने टेक के बैठ जाएं। अब धीरे-धीरे अपने सिर को झुकाते जाएं और जमीन पर सिर को रखें। अपने दोनों हाथों को सामने की ओर सीधे करके फर्श पर रखें। इस आसन में आप कम से कम 2 से 3 मिनिट रहने का प्रयास करें।

मन को शांत करने के योग में करें भुजंगासन

भुजंगासन योग से आप मानसिक तनाव को दूर करके मन को शांत कर सकते है। भुजंगासन योग को करने लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं, जिसमें आपकी पीट ऊपर की ओर रहे। अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुयें धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे के ओर करें और ठुड्डी को ऊपर की ओर करने का प्रयास करें। ध्यान रखें की आपके कमर से नीचे का शरीर जमीन से ऊपर ना उठे। आप इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।

जानुशीर्षासन योग के फायदे मन को शांत करने में

आप जानुशीर्षासन योग करके अपने मन को शांत कर सकते है। जानुशीर्षासन मुद्रा मस्तिष्क को शांत करने के अलावा हल्के अवसाद, चिंता, थकान, सिरदर्द, मासिक धर्म की परेशानी और अनिद्रा से राहत दिलाने में मदद करती है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।