शुरुआती योगा अभ्यास दिन 12

यह शुरुआती योगा अभ्यास का दिन 12 है । यह सीरीज़ इस तरह से बनाया गया है कि कोई भी व्यक्ति योगा को आराम से समझ पाए और योग का लाभ उठा सके । इस वीडियो में मैंने समझाया गया है * सुखासन * उत्थित हस्त पादासन * पार्श्व हस्त पादासन * वीरभद्र आसन A * वीरभद्र आसन B * वृक्षासन * शवासन * कपालभाति ========================== आप मुझसे इंस्टाग्राम पे कनेक्ट कर सकते हैं https://www.instagram.com/prakash.shristi/

शवासन योग फॉर डिप्रेशन एंड एंग्जायोगयटी

शवासन योग शरीर को गहरे मेडिटेशन मुद्रा में लाता है जो ऊतकों एवं कोशिकाओं की मरम्मत करता है और मस्तिष्क से स्ट्रेस को बाहर निकालता है। इस योग आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों और हाथों को सीधा रखें।

अब अपने दोनों पैरों के बीच में 1 से 1.5 फिट की दूरी रखें। अपने दोनों हाथों को शरीर से 40 डिग्री पर रखें और हथेलियों को ऊपर की ओर रखें। शवासन में आप अपनी क्षमता के अनुसार रह सकते है। शवासन मुद्रा का अर्थ सोना नहीं हैं बस आपको ऑंखें बंद रखना हैं।

डिप्रेशन के लिये योग उत्तानासन

उत्तानासन आपके मानसिक तनाव को कम करने और डिप्रेशन से बचने के लिए अच्छा योग हैं, वैसे तो सभी योग अपने तनाव को कम करने में मदद करते हैं यह आपके शरीर की थकान को खत्म करता हैं और अवसाद को कम कर के मन को शांति प्रदान करता हैं।

उत्तानासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और अपने दोनों हाथों को ऊपर सीधा कर लें। अब धीरे-धीरे सामने को ओर कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को छूने की कोशिश करें। इस आसन में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें फिर आसन से बाहर आयें।

अधोमुख श्वानासन योग के फायदे डिप्रेशन में

अधोमुख श्वानासन योग करने से दिमाग शांत रहता है और हर तरह की चिंता से मुक्ति मिलती है। इस योग को करने से गर्दन और गर्दन की हड्डी (cervical spine) में खिंचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण मस्तिष्क से चिंता दूर हो जाती है और डिप्रेशन से राहत मिलती है।

अवसाद के लिए योग में करें हलासन

नियमित रूप से प्रतिदिन हलासन योग को करने से व्यक्ति को तंत्रिका तंत्र से संबंधित दिक्कत नहीं होती है और इसकी वजह से व्यक्ति को तनाव और थकान की समस्या भी कम होती है। यह आसन महिलाओं में मेनोपॉज के लक्षणों से भी राहत प्रदान करता है।

अवसाद (डिप्रेशन) में हलासन योग को करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।

डिप्रेशन के लिये सेतुबंधासन योग

सेतुबंधासन योग का प्रतिदिन और सही तरीके से अभ्यास करने से डिप्रेशन, स्ट्रेस और चिंता दूर हो जाती है और व्यक्ति का मस्तिष्क शांत रहता है। मन को शांत रखने के लिए सेतुबंधासन काफी लोकप्रिय आसन माना जाता है। माइग्रेन की समस्या को दूर करने में भी यह आसन बहुत सहायक होता है।

इजी पोज योग फॉर डिप्रेशन एंड एंग्जायोगयटी

जी पोज को सुखासन योग के नाम से भी जाना जाता है। सुखासन योग के लाभ आपको शारीरिक और मानसिक रूप से आराम दिलाने में मदद करते हैं। यदि आप मानसिक थकान और तनाव से ग्रसित हैं तो सुखासन एक अच्‍छा उपाय है। क्‍योंकि यह न केवल आपके मन शांत करता है बल्कि स्‍ट्रेस को भी दूर करने में मदद करता है।

डिप्रेशन के लिए योग में करें कोबरा पोज़

कोबरा पोज़ योग तनाव को कम करके डिप्रेशन को दूर करने में मदद करता है। भुजंगासन योग करने से शरीर में रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है। जिससे मन भी ठीक रहता है और उसे चिड़चिड़ापन या गुस्सा बहुत कम आता है।

कोबरा पोज को करने लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं, जिसमें आपकी पीट ऊपर की ओर रहे। अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुयें धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे के ओर करें और ठुड्डी को ऊपर की ओर करने का प्रयास करें। ध्यान रखें की आपके कमर से नीचे का शरीर जमीन से ऊपर ना उठे। आप इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।

डिप्रेशन के लिए योगासन में करें बालासन योग

बालासन योग आसन बहुत ही सरल योग है, इसे करने वाला व्यक्ति एक छोटे बच्चे के सामान दिखाई देता है। बालासन आपके मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है और तनाव और चिंता से छुटकारा दिलाता है। इस योग को करते समय आप गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य करते है जो मानसिक और भावनात्मक राहत दिलाने में सहायक होता है।

बालासन योग को करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर वज्रासन में या घुटने टेक के बैठ जाएं। अब धीरे-धीरे अपने सिर को झुकाते जाएं और जमीन पर सिर को रखें। अपने दोनों हाथों को सामने की ओर सीधे करके फर्श पर रखें। इस आसन में आप कम से कम 2 से 3 मिनिट रहने का प्रयास करें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।