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हृदय रोगों में योगासनों के लाभ

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भारत में हर साल दिल की विमरियो या हार्ट अटैक से लाखो मौत होती हैं यह बीमारी मानसिक तनाव दूषित खान पान व्लड प्रेशर आदि कारणों से होती है योग एक जरिया है जिससे हम अपने दिल को बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं। ऐसे योगासन हैं, जिसमें सबसे ज्यादा फोकस सांसों पर होता है, जिससे हमारा रेस्पिरेटरी सिस्टम दुरुस्त रहता है।दिल की बीमारियों को कार्डिवस्‍कुलर डिजीज कहा जाता है। चिकित्‍सीय भाषा में दिल की बीमारियों के लिए यही शब्‍दावली इस्‍तेमाल की जाती है। रजिस्‍ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक नए शोध के मुताबिक भारत में बड़ी संख्‍या में लोग दिल की बीमारियों के कारण गंवाते है। देश में होने वाली 19 फीसदी मौतें दिल की बीमारियों के चलते होती हैं। योग एक जरिया है जिससे हम अपने दिल को बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं। ऐसे योगासन हैं, जिसमें सबसे ज्यादा फोकस सांसों पर होता है, जिससे हमारा रेस्पिरेटरी सिस्टम दुरुस्त रहता है। शरीर मेंऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त होने से हमारा ब्लड सर्कुलेशन और वज़न भी नियंत्रित रहता है। हम आपको ऐसे ही योगासनों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आप आसानी से घर पर
​बिना किसी प्रशिक्षण के कर सकते है

1. सूर्य नमस्कार: यह सबसे अच्छा  योगासन है। इसका शाब्दिक अर्थ है सूरज को नमस्कार करना। इसमें कुल 12 योगासन होते हैं जिनमें लगभग शरीर के हर हिससे पर फोकस होता है। सबसे खास बात ये कि अगर केवल हर दिन सूर्य नमस्कार भी कर लिया जाए तो ‘निरोगी काया’ का लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाता है।

2. भुजंगासन: पेट की तरफ लेट जाएं और दोनों हाथों को ठीक छाती के पास रखें। धीरे धीरे अपने शरीर को ऊपर की ओर ले जाएं। अपनीं सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और अपने पेट को स्ट्रेच करें। इस आसन से आपकी रीढ़ की हड्डी, पेट और बांह फिट रहते हैं। साथ ही चक्कर आने की समस्या भी इस आसन को करने से दूर हो जाती है।

3. पश्चिमोत्तासन: दोनों पैरों को सामने की ओर स्ट्रेच करते हुए एक दूसरे से जोड़ें। धीरे धीरे आगे झुकते हुए, बिना अपने घुटने मोड़े, अपनी नाक को घुटनों से सटाएं। हो सके तो अपने सिर को घुटनों से सटाने की कोशिश करें। इस आसन से शरीर का लचीलापन तो बढ़ता ही है, धड़कनों की रफ्तार भी नियंत्रित रहती है।

4. दंडासन: पेट के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को छाती के करीब रखें। अब अपने शरीर को ऊपर की ओर ले जाएं और हथेली ओर पैर के निचले हिस्से की मदद से शरीर को बैलेंस करें। सांस रोककर इसी अवस्था में 30-40 सेकेंड तक रहें, फिर रिलैक्स करें।

5. स्वासासन: जमीन पर लेट जाएं और आंखें बंद कर लें। दोनों हथेलियों को खुला छोड़े और पांव के अंगूठे को बाहर की दिशा में रखें। धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें। 5 मिनट तक इसी अवस्था में रहें।

6. अंजली मुद्रा: दोनों हाथों को जोड़कर छाती के बीचो बीच रखें और आंखें बंद कर धीरे से सांस अंदर लें, थोड़ी देर सांस रोकें और फिर धीरे धीरे उसे छोड़ें। यही पैटर्न कुछ मिनटों तक जारी रखें।

7. वीरभद्रासन: एक पैर को पीछे की तरफ ले जाएं, वहीं दूसरे पांव को 90 डिग्री एंगल पर स्ट्रेच करें। दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर जोड़ें, बिलकुल एक पहाड़ की आकृति जैसा। फिर धीरे धीरे दोनों हाथों को सामने की ओर लाएं और पीछे के पैर को और पीछे सट्रेच करें। ध्यान रहे, दूसरे पैर को उसी अवस्था (यानी 90 डिग्री एंगल) में रहने दें। बारी बारी से दोनों पैरों से इस आसन को करें।

8. त्रिकोनासन: दोनों पैरों को फैलाएं। दांए पैर को बाहर की ओर स्ट्रेच करें और बांए हाथ को ऊपर की दिशा में ले जाते हुए कमर को भी दाईं ओर झुकएं। इसी अवस्था में रहते हुए अपनी दाईं हाथेली को जमीन से सटाएं और साथ ही साथ बांए हाथ को ऊपर की तरफ और स्ट्रेच करें। बारी बारी से दोनों तरफ से इसे करें।

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Anand Tue, 30/Mar/2021 - 10:22

मेडिटेशन या ध्यान खुद को केंद्रित करने और दिनभर की थकान को दूर करने का बेहद सरल और कारगर उपाय है। इसमें म्यूजिक यानी संगीत का भी अहम रोल है। म्यूजिक, मेडिटेशन का अहम हिस्सा है जो आपके मन-मस्तिष्क को क्लियर करने और आपको उस पल में रखने में मदद करता है। जानें, आप किस तरह मेडिटेशन के दौरान म्यूजिक का सही इस्तेमाल कर सकते हैं-

1. सबसे पहले एक शांत जगह ढूंढें जहां बैठकर आप मेडिटेशन कर सकते हैं। ध्यान करते वक्त अपनी शारीरिक मुद्रा सही रखें, आंखें बंद करें और अपना कंधा और गर्दन को रिलैक्स रखें।

2. अब टीवी बंद करें और किसी भी तरह के डिस्ट्रैक्शन को कमरे में ना आने दें। कमरे का दरवाजा बंद कर लें और ध्यान रखें कि कोई आपको डिस्टर्ब ना करें। मोबाइल को भी बंद कर दें।

3. अब कमरे में सूदिंग यानी शांति देने वाला म्यूजिक प्ले करें। म्यूजिक सुनने के लिए हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे आपको ऐसी फीलिंग आएगी जैसे संगीत आपके मस्तिष्क के अंदर से निकल रहा है और आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।

Anand Tue, 30/Mar/2021 - 10:23

शिव ने कहा: होश को दोनों भौहों के मध्य में लाओ और मन को विचार के समक्ष आने दो। देह को पैर से सिर तक प्राण तत्व से भर जाने दो, ओर वहां वह प्रकाश की भांति बरस जाए।
“होश को दोनों भौंहों के मध्य में लाऔ।”……अपनी आंखें बंद कर लो, और अपनी आंखों को दोनों भौंहों के ठीक बीच में केंद्रित करो। आंखे बंद करके ठीक मध्य में होश को केंद्रित करो, जैसे कि तुम अपनी दोनों आँखो से देख रहे हो। उस पर पूरा ध्यान दो।

Anand Tue, 30/Mar/2021 - 10:23

मुद्राओं का जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रा दो तरह की होती है पहली जिसे आसन के रूप में किया जाता है और दूसरी हस्त मुद्राएँ होती है। मुद्राओं से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा की विधि और लाभ।

प्राण मुद्रा : छोटी अँगुली (चींटी या कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श करो। इस स्थिति में बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का 'वी' बनता है।

Anand Tue, 30/Mar/2021 - 10:24
  • योगाभ्यास करने से शरीर की सभी मांसपेषियों एवं जोड़ो का उत्तम व्यायाम होता है, जिससे शरीर में लचीलापन बना रहता है।
  • योगाभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है जो विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए आवष्यक है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
  • फेफड़े मजबूत तथा अधिक क्रियाषील होते है।
  • पाचनतंत्र सही तथा सुचारू रूप से कार्य करता है।
  • अन्तःस्रावी ग्रन्थियां क्रियाषील रहती है जो स्वस्थ रहने के लिए आवष्यक है।
  • शारीरिक थकावट तथा मानसिक तनाव दूर होता है।
  • जीवन के प्रति दृष्टिकोण व्यापक बनता है तथा कार्यषैली प्रभावी बनती है।
  • शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते है।
  • हृदय की मांसपेषियों का व्यायाम होता है तथा रक्त संचार सामान्य रहता है।
  • योग हमारी सभी शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करते हुए हमारे शरीर को स्थिरता एवं सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है।

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