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रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए हलासन

इस आसन के अभ्यास की स्थिति में आसन करने वाले व्यक्ति का आकार हल के समान होता है, इसलिए इसे हलासन कहते हैं। अगर आप दिनभर ऑफिस में बैठ कर काम करते हैं और आपकी गर्दन और पीठ हमेशा अकड़ी रहती है तो यह आसन उसे ठीक कर सकता है। शास्त्रों के अनुसर जिस व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी जितनी मुलायम व लचीली होगा व्यक्ति उतना ही स्वस्थ एवं लम्बी आयु को प्राप्त करेगा। हलासन के अभ्यास से थायरायड तथा पैराथायरायड ग्रंथियों की अच्छी तरह से मालिश हो जाती है, जिससे गले सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जातेहैं। इस आसन को करते समय हृदय व मस्तिष्क को बिना किसी कोशिश की खून की पूर्ति होती है। जिससे हृदय मजबूत होता है और शरीर में खून का बहाव तेजी से होता है
विधि-

1. हलासन को करने के लिए सबसे पहले नीचे पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को बगल में सीधा व जमीन से सटाकर रखें।

2. फिर दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें तथा एड़ी व पंजों को भी मिलाकर रखें।

3. अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं, पैरों को उठाने के क्रम में पहले 30, 60 फिर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए पैरों को सिर के पीछे की ओर जमीन पर लगाएं और पैरों को बिल्कुल सीधा रखें।

4. अपने हाथ को सीधा जमीन पर ही टिका रहने दें। इस स्थिति में आने के बाद ठोड़ी सीने के ऊपर के भाग पर अर्थात कंठ में लग जायेगी।

5. हलासन की पूरी स्थिति बन जाने के बाद 8 से 10 सैकेंड तक इसी स्थिति में रहें और श्वास स्वाभाविक रूप से लेते व छोड़ते रहें।

6. फिर वापिस सामान्य स्थिति में आने के लिए घुटनों को बिना मोड़े ही गर्दन व कंधों पर जोर देकर धीरे-धीरे पैरों को पुन: अपनी जगह पर लाएं।

लाभ- यह आसन शरीर के भीतरी अंगों की मालिश करता है और मांनसिक क्षमता को बढ़ाता है। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी के एक-एक डिस्क की मसाज हो जाती है। यह आसन मेरूदंड के लिए अधिक लाभकारी है तथा इससे मेरूदंड लचीली होती है। यह आसन मनुष्य की प्रज्ञा तथा बुद्धि को बढ़ाता है। यह आसन मस्तिष्क सम्बन्धी कार्य करने वाले बुद्धिजीवियों के लिए लाभकारी है। इस आसन को प्रतिदिन करने से मुख पर तेज, चेहरा सुंदर व कान्तिमय बनता है। इस आसन को करने से कमर पतली होती है तथा पेट की चर्बी को कम कर मोटापे को दूर करता है, जिससे शरीर सुडौल बनता है। यह आसन स्त्रियों के लिए लाभकारी होता है। युवा लड़कियों के लिए इसका अभ्यास लाभकारी होता है। यह आसन उन स्त्रियों को करना चाहिए जिनका गर्भाशय स्थिर न हो। 

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