उत्तानपादासन करने का तरीका
- पीठ के बल जमीन पर एकदम सीधी लेट जाएं।
- अपने दोनों बांहों को शरीर के बगल में रखें और हथेलियों को जमीन पर फैलाकर रखें।
- पैरों की उंगलियों के साथ अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर सीधा उठाएं और जितना संभव हो खींचाव लाएं।
- पैरों को उतना ऊपर ले जाएं जब तक ये 80 से 90 डिग्री ऊपर न चले जाएं। इसके बाद अपनी नजरों को पैरों की बड़ी उंगलियों पर टिकाएं और इस मुद्रा में 30 सेकेंड तक बने रहें।
- इसके बाद धीरे से पैरों को नीचे लाकर जमीन पर सीधा रखें। इस मुद्रा को कई बार दोहराएं।
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शिल्पा शेट्टी योगा फॉर वेट लॉस उत्तान पादासन
उत्तानपादासन संस्कृत को शब्द है। यहां उत्तान का अर्थ खिंचाव या सीधा करने(stretch, or straight) और पाद का अर्थ पैर(leg) एवं आसन का अर्थ मुद्रा(posture) है। यह आसन बहुत ही आसान है और हर व्यक्ति इसे बिना किसी कठिनाई के कर सकता है।
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धनुरासन करते समय सावधानियां
यदि आप हार्निया, निम्न रक्तचाप और उच्च रक्तचाप एवं माइग्रेन, सिरदर्द, गर्दन में चोट और पीठ दर्द से पीड़ित हैं तो इस आसन को न करें।
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धनुरासन के फायदे
यह आसन पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत रखता है।
इस आसन को करने से प्रजनन अंगों (reproductive organs) को उत्तेजित करने में मदद मिलती है।
यह आसन गर्दन, छाती और कंधों को चौड़ा करने और खोलने में मदद करता है।
पैरों और भुजाओं की मांसपेशियों को टोन करता है और पीठ को लचीला बनाता है।
मासिक धर्म में गड़बड़ी की समस्या दूर करता है।
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धनुरासन करने का तरीका
- इसके बाद अपने घुटनों को ऊपर की ओर झुकाएं या हल्का सा मोड़ें और अपने टखनों को हाथों से पकड़ें।
- धीरे से श्वास लें और अपने सिर एवं आसपास के क्षेत्र को ऊपर उठाएं और पैरों को जितना संभव हो ऊपर ले जाएं। लेकिन ध्यान रहे कि अपने टखनों को हाथों से बराबर पकड़े रहें।
- कुछ देर तक इसी मुद्रा में बने रहें और श्वास छोड़ते हुए पहली स्थिति में आ जाएं।
- इस योग मुद्रा को करते समय लगातार श्वास लेते और छोड़ते रहें और कम से कम 3 से 5 बार यह आसन करें।
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शिल्पा शेट्टी योगा धनुरासन फॉर वेट लॉस
इस आसन का नाम धनुरासन संस्कृत का शब्द है जहां धनुर का अर्थ धनुष (bow) और आसन का अर्थ मुद्रा (pose) है। इस आसन को करते समय धनुष की तरह आकृति बनती है इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है। इस आसन को करते समय शरीर में सबसे ज्यादा खिंचाव होता है जिससे शरीर के कई विकार दूर हो जाते हैं।
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मकरासन करते समय सावधानियां
यदि पीठ और कमर में गंभीर चोट लगी हो तो यह आसन न करें।
यदि गर्दन में चोट लगी हो तो मकरासन करने से परहेज करें।
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मकरासन के फायदे
यह आसन करने से दिन भर की थकान से शरीर को राहत मिलती है।
इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी, पीठ, मांसपेशियों और नसों (nerves) को आराम मिलता है।
यह आसन अस्थमा और फेफड़ों से जुडे विकारों को दूर करने में मदद करता है।
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मकरासन करने का तरीका
पेट के बल जमीन पर एकदम सीधे लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को एक दूसरे के ऊपर चढ़ाकर (crossed) माथे के बिल्कुल नीचे रखें।
आंखों को बंद रखें और जितना संभव हो अपने पैरों की उंगलियों के साथ पूरे पैर को खींचें। इसके बाद दोनों हाथों को कूल्हों से छूते हुए पंख की आकृति में हल्का सा ऊपर उठाएं और गर्दन को एकदम सीधे रखें।
अब धीरे-धीरे सामान्य रूप से श्वास (inhale) लेते रहें और शरीर को आराम दें। अपने शरीर को जमीन पर महसूस करें और शरीर के प्रत्येक मांसपेशियों में राहत का अनुभव करें।
2 से 5 मिनट तक इसी मुद्रा में बने रहें उसके बाद अपने पैरों को आपस में सटा लें।
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शिल्पा शेट्टी मकरासन योगा फॉर फ्लैट स्टमक के लिए
इस आसन का नाम मकरासन संस्कृत का शब्द है जहां मकर का अर्थ मगरमच्छ(crocodile) और आसन का अर्थ मुद्रा ( pose) है। मकरासन पूरी तरह से एक विश्राम पोज (relaxation pose) है।
“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।