Suryanamaskar for Vitality

Suryanamaskar for Vitality!

Come, let us together celebrate the northwards movement of 'Surya' & be a part of the global event as we together perform Suryanamaskar on the 14th January, 2022!

Suryanamaskar is a combination of 8 asanas, performed in 12 steps, in coordination with mind & the body. It helps in improving vitality & enhances immunity too.

Here are the first 4 steps, stay tuned as we will together learn the intricacies of Suryanamaskar in the following days.

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मधुमेह कारण एवं निदान

हम दैनिक जीवन में जो आहार लेते हैं उससे हमारे शरीर को विभिन्न पोषक घटक प्राप्त होते हैउसमे शर्करा एक महत्वपूर्ण घटक है ।हमारे भोजन से प्राप्त शर्करा रक्त में मिलकर कोशिकाओं मैं जाती हैं जहां यह ऊर्जा मैं परिवर्तित होती है। रक्त शर्करा को ऊर्जा मैं परिवर्तित होने के लिए एक उतूप्रेरक इन्सुलिन की आवश्यकता होती हैं जो अग्नाशय मैं स्त्रवित होता है।शरीर में वात ,पित्त ,कफादि त्रिदोषज बिषमता जनित विभिन्न रोगों के कारण अग्नाशय मैं प्राकृतिक इन्सुलिन का स्त्राव अनियमित हो जाता है। इससे रक्त शर्करा का ऊर्जा मैं अपचयन नहीं हो पाता तथा शर्करा रक्त मैं रह जाती है।रक्तशर्करा के निरंतर अपरिवर्तन् से रक्त

ओशो डाइनैमिक ध्यान

ओशो डाइनैमिक ध्‍यान ओशो के निर्देशन में तैयार किए गए संगीत के साथ किया जाता है। यह संगीत ऊर्जा गत रूप से ध्‍यान में सहयोगी होता है और ध्‍यान विधि के हर चरण की शुरूआत को इंगित करता है|

निर्देश—
डायनमिक ध्‍यान आधुनिक मनुष्‍य को ध्‍यान अपलब्‍ध करवाने के लिए ओशो के प्रमुख योगदानों में से एक है।

ओशो गौरीशंकर ध्यान

इस विधि में पंद्रह-पंद्रह मिनट के चार चरण है। पहले दो चरण साधक को तीसरे चरण में सहज लाती हान के लिए तैयार कर देते है।

ओशो ने बताया है कि यदि पहले चरण में श्‍वास-प्रश्‍वास को ठीक से कर लिया जाए तो रक्‍त प्रवाह में निर्मित कार्बनडाइऑक्साइड के कारण आप स्‍वयं को गौरी शंकर जितना ऊँचा अनुभव करेंगे।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।