क्या गर्भावस्था में पालक खा सकते हैं?

हाँ प्रेगनेंसी में पालक आराम से खा सकते हैं, इसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जो गर्भवती के स्वास्थ्य को कायम रखने में मददगार होते हैं। पालक में प्रचुर मात्रा में आयरन होता है, शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाने में आयरन बहुत उपयोगी माना जाता है। आयरन से खून की कमी भी दूर होती है और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।

गर्भावस्था में कौन से योग आसन कर सकते हैं?

गर्भावस्था में माँ द्वारा किये जाने वाले योग माँ और बच्चे पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव डालते हैं। गर्भावस्था में योग अपने मन से न करें बल्कि एक अच्छी जानकार योग शिक्षक की सलाह से ही योग करें। इस विषय पर मैंने विस्तृत उत्तर लिखा है, जिसे आप पढ़ सकते हैं। उसकी लिंक साझा कर रही हूँ।
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स्मृति गुप्ता
, योग जिज्ञासु
जवाब दिया गया: 30 नव॰ 2020
प्रसव पूर्व योगा क्या होता है, यह कैसे मददगार है और इसे कैसे करें?

योग आसन का राजा किसे कहा जाता है?

ठयोग कहता है कि, अगर सिद्धासन सिद्ध हो जाए तो बाकी आसनों का क्या प्रयोजन…?

हठयोग में 8400000 आसनों का जिक्र है। जिसमें से 84 आसन मुख्य हैं। उसमें से भी 4 आसन सबसे मुख्य हैं, सिद्धासन, पद्मासन, भद्रासन और सिंह आसन और इन चारों में से भी दो श्रेष्ठ आसन है, पद्मासन और सिद्धासन इसमें से भी सिद्धासन सर्वश्रेष्ठ आसन है।

पीठ के दर्द को ठीक करने के लिए कौन सा योग आसन करना उचित है?

पीठ दर्द एक लक्षण है, स्वयं बीमारी नहीं है। अनेक प्रकार की बीमारियों की वजह से पीठ दर्द हो सकता है।

सर्वप्रथम ठीक निदान अनिवार्य है, तभी समुचित चिकित्सा हो सकेगी।

निवेदन है कि अस्थि रोग विशेषज्ञ से मिलकर, आवश्यक हो तो एक्स-रे, एम आर आई या सी टी स्कैन द्वारा सटीक डायग्नोसिस कराइए।

फिर चिकित्सक की सलाह अनुसार फिजियोथैरेपिस्ट या कुशल योगाचार्य से परामर्श लीजिए।

उदाहरण:

योग में सबसे कठिन आसन कौन से हैं, इन आसनों को करने से क्या लाभ होता है?

अगर आप अपने शरीर को सिर्फ स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको ये कठिन आसन करने की जरूरत नहीं है। आप साधारण और सरल आसन भी करके अपनी पाचन शक्ति, रक्त परिसंचरण प्रणाली को सही रख सकते है और बाकि बिमारियों से बचने के लिए प्राणायाम ही काफी है।

लेकिन योग में जो कठिन आसन है। उनका भी कुछ फायदा है। ये आसन आपके शरीर की ताकत को बढ़ाते है और शरीर को लचीला भी करते है। जिससे खेलों में काफी लाभ पहुंचता है। इन कठिन आसनों को करने के लिए मन के विचारों का संतुलन (एकाग्रता) रखना जरुरी है। अगर आप इन कठिन आसनों में सफल हो जाएंगे तो आपके मन की एकाग्रता बढ़ जाएगी।

योग में कुछ कठिन आसन है-

नौसिखियों के लिए योग के सबसे अच्छे आसन कौन से हैं?

किसी भी आसन को करने के लिए शरीर का लचीला होना जरूरी होता है। इस कारण शुरुआत में हर व्यक्ति को परेशानी आती योग करने में। अतः योग कि शुरुआत हमेशा सूर्य नमस्कार से ही करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार शरीर के मजबूती और लचीलापन प्रदान करता है। जिससे दूसरे आसन करने में परेशानी नहीं आता। ये रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है और एकाग्रता बढ़ाता है। कुछ दूसरे आसन भी है जो सरल भी है और लाभदायक। जिसे हर नौसिखिया व्यक्ति कर सकता है

वृक्षासन(tree pose) - यह मन की सोच का संतुलन बनाए रखता है और तनाव से बचाता है।

हलासन

इस आसन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है। इससे इसे हलासन कहते हैं। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हमारी रीढ़ सदा जवान बनी रहती है।

इस आसन में आकृति हल के समान बनती है इसलिए इसे हलासन कहते हैं।

त्रिकोणासन

त्रिकोण आसन  का अभ्यास खड़ा रहकर किया जाता है.यह आसन  पार्श्व कोणासन से मिलता जुलता है.इस योग से हिप्स, पैर, टखनों, पैरों और छाती का व्यायाम होता है.यह मु्द्रा कमर के लिए भी लाभप्रद है.इस मुद्रा का अभ्यास किस प्रकार करना चाहिए.इस मुद्रा की अवस्था क्या है एवं इससे क्या लाभ मिलता है आइये इसे देखें.

ताड़ासन

शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए इस आसन का प्रयोग किया जाता है | ताड़ासन का संधि विच्छेद करने पर यह – ताड़ + आसन शब्दों से बना होता है | यहाँ ताड़ का अर्थ ताड़ के पेड़ से है और आसन का अर्थ योग आसन से है | अत: शाब्दिक अर्थो से समझें तो जो आसन शरीर को ताड़ के पेड़ की तरह लम्बा करने में मदद करे या जिसे अपनाने से ताड़ के पेड़ की आकृति बनती हो उसे ताड़ासन कहा जाता है | वैसे संस्कृत में ताड़ को पर्वत का पर्यायवाची भी कहा जाता है , जो लम्बाई का प्रतिक होता है |

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।