योग फॉर डिप्रेशन एंड एंग्जायोगयटी
आइये अवसाद के नियंत्रण में योग की भूमिका को विस्तार से जानते है।
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डिप्रेशन के कारण
न्यूरोसरकिट्स (neurocircuits) के कार्य में परिवर्तन होना
शरीर के हार्मोन के संतुलन में परिवर्तन या संतुलन बिगड़ना
दिमाग का फ्रंटल लोब (frontal lobe) कम सक्रिय होना
पुरानी बीमारी, अनिद्रा या पुराना दर्द होना
दवाओं और शराब का अत्यधिक सेवन करना
आत्म सम्मान की आलोचना होना
व्यक्तिगत मानसिक बीमारी का होना
कुछ दवाएं भी अवसाद का कारण बन सकती हैं।
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डिप्रेशन के लक्षण
डिप्रेशन में सामान्य तौर पर निम्न लक्षण दिखाई देते है-
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डिप्रेशन क्या है
डिप्रेशन (Depression) को हिंदी में अवसाद के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का मानसिक विकार (mood disorder) जो मन को दुखी करने वाली भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इसे किसी व्यक्ति की प्रतिदिन की गतिविधियों (कार्यों) में हस्तक्षेप करने वाली उदासी, निराशा या क्रोध की भावनाओं के रूप में समझा जा सकता है।
अवसाद (डिप्रेशन) महसूस करने की क्षमता, सोच और व्यवहार आदि को प्रभावित करता हैं और विभिन्न मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन की सामान्य गतिविधियों में परेशानी हो सकती है।
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डिप्रेशन के लिये योग
डिप्रेशन आज बहुत सारे लोगों के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। लोग छोटी छोटी वजह से भी डिप्रेशन में चले जाते है। डिप्रेशन से बचने में योग आपकी मदद कर सकता है। आज हम आपको डिप्रेशन के लिये योग के बारे बताएंगे।
जब व्यक्ति किसी वजह से अत्यधिक तनाव लेने लगता है तब वह डिप्रेशन में चला जाता है और अधिकांश लोगों को इसका पता भी नहीं चलता है। पर्याप्त नींद लेना और टेंसन न लेकर भी डिप्रेशन से बचा जा सकता है।
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OSHO: I Am a Spiritual Playboy
Osho declares himself a spiritual playboy – nothing wrong with that. His whole life effort is to bring Zorba and Buddha closer to remove the dichotomy of the spiritual and the material. His vision is to have the spiritual and the material as one whole – they are. A new full length talk available everyday. Plus a collection of talks on subjects that matter to you: love, meditation, psychology, emotions, sex, money, power and many others. Sign up to enjoy all this and more!
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Bailando #1
शुरुआती योगा अभ्यास दिन 11
यह शुरुआती योगा अभ्यास का दिन 11 है । यह सीरीज़ इस तरह से बनाया गया है कि कोई भी व्यक्ति योगा को आराम से समझ पाए और योग का लाभ उठा सके । इस वीडियो में मैंने समझाया गया है * सुखासन * साँसों पर ध्यान * कंधों की स्ट्रेचिंग * भारमानासन * शिषोसन * हाथों की स्ट्रेचिंग * वीरभद्र आसन * वीरभद्र आसन * शवासन * कपालभाति ========================== आप मुझसे इंस्टाग्राम पे कनेक्ट कर सकते हैं https://www.instagram.com/prakash.shristi/
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हिप्स को शेप में लाने के लिए करें योग वीरभद्रासन
वीरभद्रासन-2 हिप्स को बड़ा करने में मदद करता हैं। यह योग मुद्रा जांघों और नितंबो की मांसपेशियों को मजबूत करती हैं। यह आसन पेट, एड़ियों और पैरों को टोन करता हैं। यह आसन पूरे शरीर में रक्त के परिसंचरण को बढ़ाता हैं। यह आसन फ्लैट पैर, सायटिका, बांझपन और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे समस्या को ठीक करता हैं।
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हिप्स साइज को बढ़ाने के लिए बद्ध कोणासन
बद्ध कोणासन हिप्स को करने से भी कूल्हों की मांसपेशियों पर आंतरिक रूप से खिंचाव पड़ता है जो हिप्स को सही शेप में लाने में मदद करता है।
बद्ध कोणासन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को साफ जगह में बिछा के दोनों पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। इसके बाद दोनों पैर को अपनी ओर मोड़ लें और दोनों पैरों के पंजों से पंजे मिलाएं। अब दोनों हाथों से घुटनों को धीरे-धीरे दबाएँ जिससे दोनों घुटने फर्श पर रख जाएं। इस मुद्रा को आप 2 से 3 मिनिट के लिए करें। ध्यान रखें की अगर आपके घुटने जमीन पर नहीं आ रहे हैं तो इसे जबरजस्ती करने का प्रयास ना करें।
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।