मकरासन के फायदे अस्थमा के इलाज में

मकरासन का अभ्यास करते समय गहरी सांस लेने एवं छोड़ने की प्रक्रिया से अस्थमा की बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा घुटनों में दर्द (knee pain) एवं फेफड़े से जुड़ी समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं।

मांसपेशियों के लिए फायदेमंद होता है मकरासन

इस आसन का अभ्यास करने से कंधों  एवं रीढ़ की की मांसपेशियों में तनाव कम होता है और मांसपेशियां मजबूत और लचीली बनती हैं। इसलिए लोग मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए मकरासन का अभ्यास (practice) करते हैं। कूल्हों के मांसपेशियों में को बेहतर बनाने में भी यह आसन फायदेमंद है।

मकरासन के फायदे

Makarasana ke fayde in Hindi जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि मकरासन शांत मन और मस्तिष्क के साथ किया जाता है। इसलिए इसका सबसे बड़ा फायदा मस्तिष्क को ही होता है। दिमाग को एकाग्र रखने और तनाव की समस्या को दूर करने में यह बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा भी मकरासन करने के कई फायदे होते हैं। आइये जानें उन फायदों के बारे में।

मकरासन करने का सही समय

अन्य आसनों की अपेक्षा यह आसन बहुत अलग है। इसका अर्थ यह है कि इस आसन का अभ्यास तनावरहित मन और मस्तिष्क के साथ किया जाता है क्योंकि यह आसन आराम की मुद्रा में लेटने की क्रिया है। मकरासन का अभ्यास करने का सही समय सुबह है, क्योंकि इस आसन को करने के लिए एकदम शांत जगह एवं वातावरण की जरूरत पड़ती है। मकरासन का अभ्यास करने से पहले पेट खाली रखें। यदि किसी कारणवश आप शाम को इस आसन का अभ्यास करते हैं तो अभ्यास से कई घंटे पहले तक कुछ खाएं नहीं, तभी यह आसन फायदेमंद होगा।

मकरासन करने की विधि और तरीका

यदि सही तरीके से आसन किया जाए तो कोई भी आसन हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। आइये जानते हैं कि मकरासन करने का सही तरीका क्या है।

मकरासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां

करासन संस्कृत का शब्द है जो मकर और आसन इन दो शब्दों से मिलकर बना है। यहां मकर का अर्थ मगरमच्छ (Crocodile) और आसन का अर्थ मुद्रा (Pose) है। नदी में मगरमच्छ के शांत अवस्था में लेटने की मुद्रा ही मकरासन कहलाती है। इस आसन का अभ्यास करते समय मगरमच्छ की आकृति में ही एकदम शांत मुद्रा में जमीन पर लेटना पड़ता है। यह एक ऐसा आसन है जिसमें आंखे बंद रखकर श्वास लेने की क्रिया की जाती है जिसके कारण यह शरीर और दिमाग को बिल्कुल शांत रखता है और डिप्रेशन, बेचैनी, उलझन, माइग्रेन और मस्तिष्क से जुड़े विकारों को दूर करता है। सिर दर्द से परेशान लोगों के लिए यह आसन दवा का कार्य करता है। स्त्रियों में कमर दर्द की स

तंत्रिका तंत्र मजबूत बनाने में नाड़ी शोधन के लाभ

नाड़ी शोधन का अभ्यास करते समय धीरे-धीरे गहरी (deep)सांस लेने और कुछ देर तक सांस को वैसे ही रोके रहने के बाद श्वास छोड़ने से नर्वस सिस्टम को तनाव कम करने का संदेश मिलता है और तंत्रिका तंत्र (nervous system) में ऑक्सीजन का सीधे प्रवाह होता है जिससे कि व्यक्ति का नर्वस सिस्टम मजबूत होता है।

शरीर को एनर्जी प्रदान करने में नाड़ी शोधन क्रिया के फायदे

यदि आपको लगता है कि आप स्वस्थ हैं और आपको किसी तरह की कमजोरी नहीं है लेकिन इसके बावजूद आप खुद को ऊर्जाहीन महसूस करते हैं तो आपको नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। एक एक ऐसा प्राणायाम है जो शरीर को ऊर्जा से भर देता है और व्यक्ति को एक्टिव रखता है।

तनाव दूर करने में नाड़ी शोधन बेनिफिट्स

नाड़ी शोधन प्राणायाम का प्रतिदिन सही तरीके से अभ्यास करने से मस्तिष्क नियंत्रित रहता है और मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं। इस प्राणायाम को करने से चिंता, तनाव, डिप्रेशन जल्दी दूर हो जाता है। इसलिए डिप्रेशन या तनाव की समस्या होने पर नाड़ी शोधन प्राणायाम जरूर करना चाहिए।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।