योग क्‍या है, योग के प्रकार और फायदे

पिछले कुछ समय से योग ने बहुत ही लोकप्रियता हासिल कर ली है। बहुत से लोग योग के लाभ जानते हैं। लेकिन फिर भी बहुत सी आवादी योग के फायदे से अनभिज्ञय है। कई अध्‍ययनों ने योग के फायदे होने की पुष्टि की है साथ ही बहुत से स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकार योग को अपनाने की सलाह भी देते हैं। कहा भी जाता है ‘कई रोगों की एक दवा है योग’ जो लोग नियमित व्‍यायाम करते हैं उन्‍हें कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है। लेकिन योग क्‍या है, इसे कैंसे करें, योग के नियम क्‍या हैं, योग के प्रकार और फायदे। इस तरह के तमाम प्रश्‍नों का जबाब आपको इस लेख में मिल जायेंगा। आइए जाने योग के बारे में सब कुछ जो आपके

बालासन करते समय सावधानियां

जैसा की आपने जाना बालासन के लाभ और महत्व बहुत अधिक हैं लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में बालासन मुद्रा का अभ्यास करने से बचना चाहिए। क्योंकि शरीर में कुछ गंभीर समस्याएं होने पर कुछ मामलों में किसी भी तरह का आसन करना हानिकारक हो सकता है। इसलिए बालासन करते समय भी आपको निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए।

कमर दर्द दूर करने में बालासन के फायदे

इस आसन का अभ्यास करते समय आगे की ओर झुकना पड़ता है इसलिए यह आसन पीठ और कमर के दर्द को दूर करने में मदद करता है। बालासन पीठ एवं कमर दर्द के लिए एक थेरेपी का कार्य करता है इसलिए ज्यादातर लोग इन समस्याओं से निजात पाने के लिए बालासन का अभ्यास करते हैं।

बालासन के लाभ कूल्हों के लिए फायदेमंद

यह आसन करने से कूल्हों, जांघों और टखनों एवं कमर में तनाव कम होता है। यह आसन मांसपेशियों को लचीला बनाता है और दर्द को कम करने में मदद करता है। यदि आपके कूल्हों पर फैट अधिक है या कूल्हे (buttock) पीछे की ओर अधिक निकला हो तो यह आसन कूल्हों को कम करने में भी मदद करता है।

बालासन के फायदे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रखने में

प्रतिदिन बालासन का अभ्यास करने से पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इसके साथ ही यह पेट के अंगों का मसाज करने एवं उन्हें टोन करने के साथ ही पाचन को बढ़ाने में भी मदद करता है।

तनाव दूर करने में बालासन के फायदे

इस आसन के सांस लेने के पैटर्न (breathing pattern) से तनाव दूर होता है और मस्तिष्क शांत रहता है। इसके अलावा यह आसन डिप्रेशन, माइग्रेन और चिड़चिड़ाहट को दूर करने में भी मदद करता है।

बालासन के फायदे थकान दूर करने में

बालासन को आराम की मुद्रा (resting pose) कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को राहत प्रदान करता है और थकान को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा इस आसन के दौरान सांस लेने और छोड़ने की क्रिया से एक तरह की शांति (calm) मिलती है। यदि किसी व्यक्ति को अधिक चक्कर आता हो तो विशेष रूप से ऐसे व्यक्तियों के लिए बालासन बहुत फायदेमंद होता है।

बालासन के फायदे

बालासन के फायदे थकान दूर करने में
तनाव दूर करने में बालासन के फायदे
बालासन के फायदे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रखने में
बालासन के लाभ कूल्हों के लिए फायदेमंद
कमर दर्द दूर करने में बालासन के फायदे

बालासन के समान अन्य योग आसन

कुछ ऐसी अन्य मुद्राएं भी हैं जो बालासन के समान हैं और बालासन के साथ ही इन आसनों का अभ्यास भी नियमित रूप से किया जा सकता है। इन आसनों को करने से बालासन पोज की तरह ही फायदे मिलते हैं। ये आसन कूल्हों, जांघों और टखनों में तनाव को कम करने में मदद करते हैं। ये आसन निम्न हैं।

ताड़ासन (Mountain pose)
उत्तानासन (Forward-Bending pose)
अधोमुख शवासन (Downward Facing Dog pose)
भुजंगासन (Cobra pose)
ये सभी आसन बालासन के फायदे को बढ़ा देते हैं और मस्तिष्क एवं मांसपेशियों को राहत दिलाने में मदद करते हैं।

बालासन करने की विधि

किसी भी आसन का अभ्यास शुरू करने से पहले उसे करने के सही तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। इसका कारण यह है कि सही तरीके से आसन का अभ्यास (practice) न करने से शरीर में समस्या उत्पन्न हो सकती है। आइये जानते हैं बालासन करने का सही तरीका क्या है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।