शारीरिक संतुलन के लिए करे पर्श्वोत्तनासन योग

पर्श्वोत्तनासन योग करने के लिए आपको अधिक संतुलन बनाने की आवश्यकता होती हैं जो आपके शरीर को मजबूत करता हैं। पर्श्वोत्तनासन योग आसन शरीर की मुद्रा को बेहतर बनाने में मदद करता है, और आपके शरीर में संतुलन की भावना को भी बनाए रखता है। यह आसन आपकी सहनशक्ति भी बढ़ाने में मदद करता हैं। यह पोज़ पैरों, गले और छाती को भी एक शक्तिशाली खिंचाव देता हैं। यह आसन पीठ में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करता हैं।

मस्तिष्क को शांत करे पर्श्वोत्तनासन योग

पर्श्वोत्तनासन योग हमारे मस्तिष्क को शांत करने के लिए एक अच्छा योग आसन है। यह योगासन ना केवल आपको भौतिक रूप से लाभदायक हैं बल्कि यह आपके दिमाग को भी स्वस्थ रखता हैं। पर्श्वोत्तनासन आपके ध्यान को केन्द्रित करने में भी मदद करता हैं जिससे आप किसी भी बात को लम्बे समय तक याद रख सकते है। यह आपके मन को शांत रखता हैं और तनाव को दूर करने में मदद करता हैं। पर्श्वोत्तनासन योग स्मरण शक्ति को बढ़ाता हैं जिससे किसी भी बात को लम्बे समय तक याद रखा जा सकता हैं।

मजबूत पैरों के लिए करे पर्श्वोत्तनासन योग

पर्श्वोत्तनासन योग पैरों को मजबूत करता हैं। ऊँची एड़ी के जूते में लंबे समय तक बैठने या अत्यधिक चलने के बाद आपके पैरों में दर्द होना लगता है। इस योग को करने से पैरो में होने वाली वैरिकाज़ नसों को राहत मिलती है। ये नसें हृदय में अनियमित रक्त की आपूर्ति का संकेत देती हैं और जिससे लंबे समय तक स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या बनी रहती हैं। पर्श्वोत्तनासन योग पैरों से संबधित सभी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता हैं।

पर्श्वोत्तनासन योग रीढ़ को मजबूत करे

अपनी रीढ़ को मजबूत करने के लिए आपको पर्श्वोत्तनासन योग बहुत ही लाभदायक होता है। यह योग कूल्हों, कंधों, हॅम्स्ट्रिंग और कलाईयों में खिचाव लाता है और उनको मजबूत करता है। पर्श्वोत्तनासन आसन करते समय रीढ़ से आगे की ओर झुका जाता है। पीठ के दर्द को कम करने में सहायता करता है। जो लोग डेस्क पर बैठ कर नौकरी करते है उनकी पीठ दर्द को ठीक करने के लिए पर्श्वोत्तनासन योग लाभदायक होता हैं।

पर्श्वोत्तनासन के फायदे पाचन में

यह योग पेट और उसके अंगो को उत्तेजित करके एसिडिटी, कब्ज और पेट की कई समस्याओं के इलाज में मदद करता है। पर्श्वोत्तनासन योग आसन को करते समय आपके पेट और आंतों में दबाव पड़ता है जो पाचन प्रक्रिया को भी बढ़ाता है। इस योग से आंतरिक पेट के अंगों की एक हल्की मालिश होती जो कि पेट की मांसपेशियों को टोन करता है।

पर्श्वोत्तनासन योग के फायदे

अन्य योगों की तरह ही पर्श्वोत्तनासन योग आसन हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। यह हमारे शरीर में होने वाली कई प्रकार की समस्या से हमें दूर रखता हैं। आइये इसके लाभों को विस्तार से जानते हैं।

शुरुआती लोगों के लिए पर्श्वोत्तनासन करने की प्रारंभिक टिप

अगर आप बिगिनर है और योग अभ्यास की अभी-अभी शरुआत कर रहे हैं तो हो सकता हैं की आपको पर्श्वोत्तनासन योग आसन को करते समय दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाने और दोनों को नमस्कार मुद्रा जोड़ने में थोड़ी कठिनाई हो सकती हैं क्योकि आपके हाथ पर्याप्त लचीले नहीं होते है तो इसके लिए आप अपने दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाकर कमर के समानांतर रख लें। इसके अलावा आप प्रत्येक कोहनी को विपरीत हाथ से पकड़ सकते हैं। बिगिनर को पूरी तरह से नीचे झुकने भी कठिनाई हो सकती है तो आप इसे अभ्यास के साथ आसानी से कर सकते हैं।

पर्श्वोत्तनासन योग करने का तरीका

आपको बता दें पर्श्वोत्तनासन योग एक सरल योगासन है इसे करना बहुत ही आसान हैं। किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से इस योग को कर सकता हैं। नीचे पर्श्वोत्तनासन को करने की कुछ स्टेप दी गई है जिसकी मदद से आप इसे आसानी से कर सकते हैं।

पर्श्वोत्तनासन योग करने से पहले यह आसन करें

पर्श्वोत्तनासन योग करने से पहले आप नीचे दिए गए कुछ आसन का अभ्यास करें, जिससे आपको इस आसन करने में आसानी होगी –

अधोमुख श्वान आसन
बद्ध कोणासन
गोमुखासन
उत्तानासन
वृक्षासन
ताड़ासन
 

पर्श्वोत्तनासन क्या है

पर्श्वोत्तनासन योग अष्टांग विनयसा शैली की अंतिम मुद्रा है। पर्श्वोत्तनासन शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द “पार्श्व” है जिसका अर्थ ‘पक्ष’ है, दूसरा शब्द “उत्ताना” जिसका अर्थ ‘तीव्र खिंचाव’ है और तीसरा शब्द आसन है जिसका अर्थ ‘मुद्रा’ होता है। इस योग में आंशिक रूप से आगे झुकना होता हैं इसलिए यह आसन Parivrtta Trikonasana और Utthita Trikonasana के बीच का एक मध्य मार्ग है। पर्श्वोत्तनासन योग को अंग्रेजी में इंटेंस साइड स्ट्रेच (Intense Side Stretch) कहा जाता है। इस योग को पिरामिड पोज़ (Pyramid Pose) भी कहा जाता है क्योंकि यह एक पिरामिड जैसा दिखता है। आइये इस योग आसन को करने की वि

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।