पर्श्वोत्तनासन करने का तरीका और फायदे

पर्श्वोत्तनासन योग सभी योग असानो में बहुत ही महत्वपूर्ण योग आसन है। यह योग आपके शरीर के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक है। पर्श्वोत्तनासन योग करने के लिए आपको एक पैर को दूसरे पैर आगे रख कर आगे की और झुकाना होता है। पर्श्वोत्तनासन योग रीढ़ हड्डी, हॅम्स्ट्रिंग और पैर को मजबूत करता है। आइये पर्श्वोत्तनासन योग करने का तरीका और उससे होने वाले लाभो को विस्तार से जानते हैं।

OSHO: The Art of Listening (Preview)

"The art of listening is based on silence in the mind, so that the mind does not interfere, it simply allows whatever is coming to you. I am not saying you have to agree with it. Listening does not mean that you have to agree with it, neither does it mean that you have to disagree with it. The art of listening is just pure listening, factual, undistorted. And once you have listened then comes the point whether you agree or not, but the first thing is to listen." Upgrade your subscription and start listening today. A new full length talk available everyday.

OSHO: It Is Easier to Speak the Truth than to Write It

Osho, a contemporary mystic speaks on virtually every aspect of human consciousness. In these talks, the human condition, whether the mind, the heart, love or awareness is exposed with humor and insight, as never before. Here Osho responds to the following question: 'You never put your thoughts on paper?' "...Never. In my whole life I have never written.... It is easier to speak the truth than to write it..." The books - as he says - are the transcript of his talks. "All my books are my discourses".

हस्तपादासन योग फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए

नियमित रूप से हस्तपादासन योग करने से जननांग स्‍वस्‍थ रहते है और महिलाओं को इनफर्टिलिटी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। यदि आपको कंसीव करने में द‍िक्‍कत आ रही है तो आप हस्तपादासन योग करें।

इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और अपने दोनों हाथों को ऊपर सीधा कर लें। अब धीरे-धीरे सामने को ओर कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को छूने की कोशिश करें। इस आसन में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें फिर आसन से बाहर आयें।

फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए पश्चिमोत्तानासन योग

पश्चिमोत्तानासन योग हैमस्ट्रिंग, पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों को एक अच्छा खिंचाव देता है। यह महिला प्रजनन अंगों, खासकर गर्भाशय और अंडाशय को भी उत्तेजित करता है। जिससे प्रजनन स्तर में सुधार होता है और तनाव दूर होता है।

पश्चिमोत्तानासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा के सीधे कर लें। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजे पकड़ लें। अपनी सिर को घुटनों पर रख दें। इस आसन को 20 से 60 सेकंड के लिए करें।

कंसीव करने में आ रही है द‍िक्‍कत तो करें भुजंगासन योग

भुजंगासन योग (कोबरा पोज) श्रोणि क्षेत्र में रक्त और ऑक्सीजन परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। यह पेट कि चर्बी को भी कम करता है और कंसीव करने में द‍िक्‍कत आ रही है को दूर करके प्रजनन क्षमता बढ़ाने बढ़ने में भी मदद करता है।

प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए योग बद्ध कोणासन

बद्ध कोणासन प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी योगों में से एक है क्योंकि यह कमर, आंतरिक जांघों और घुटनों को बढ़ाता है। यह आसान कमर और कूल्हे के क्षेत्रों में लचीलेपन के स्तर में सुधार करता है। यह सब कंसीव करने की संभावना को अनुकूल बनाता है और यदि गर्भावस्था में बाद में इस आसन का अभ्यास किया जाता है, तो आपका सुचारू प्रसव भी होना तय है।

कंसीव करने में आ रही है द‍िक्‍कत, तो शुरु करे ये 5 फर्टिलिटी योग आसन

ख़राब जीवनशैली, अधिक उम्र में शादी करना और देरी से फैमिली प्‍लान‍िंग के कारण महिला और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। खानपान भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी (बांझपन) का कारण बनता है। एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जो महिलाएं फर्टिलिटी बढ़ाने वाले योगासन का अभ्यास करती हैं, उनके प्रेग्नेंट होने की संभावना अन्य महिलाओं से अधिक होती है। अब तो डॉक्टर भी प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए योग करने की सलाह देते हैं। यदि महिलाओं को कंसीव करने में द‍िक्‍कत आ रही है तो आप इन योग आसन को करें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।