तीसरी आँख को विकसित करने लिए - ध्‍यान

(1) साक्षी को खोजना— ओशो

शिव ने कहा: होश को दोनों भौहों के मध्‍य में लाओ और मन को विचार के समक्ष आने दो। देह को पैर से सिर तक प्राण तत्‍व से भर जाने दो, ओर वहां वह प्रकाश की भांति बरस जाए।

वह विधि पाइथागोरस को दी गई थी। पाइथागोरस वह विधि लेकर ग्रीस गया। और वास्‍तव में यह पश्‍चिम में सारे रहस्‍यवाद का उद्गम बन गया। स्‍त्रोत बन गया। वह पश्‍चिम में पूरे रहस्‍यवाद का जनक है।

तीसरी आँख सूक्ष्‍म शरीर का अंग है - ओशो

पहले तो दो बातें समझ लेने की है।

  1. एक, तीसरी आँख की ऊर्जा वही है जो ऊर्जा दो सामान्‍य आंखों को चलाती है। ऊर्जा वही है, सिर्फ वह नई दिशा में नए केंद्र की और गति करने लगती है। तीसरी आँख है; लेकिन निष्‍क्रिय है। और जब तक सामान्‍य आंखे देखना बंद नहीं करती, तीसरी आँख सक्रिय नहीं हो सकती है। देख नहीं सकती। उसी उर्जा को यहां भी बहना है। जब उर्जा सामान्‍य आँखो में बहना बंद कर देती है तो वह तीसरी आँख में बहने लगती है। और जब ऊर्जा तीसरी आँख में बहती है तो सामान्‍य आंखों में देखना बंद कर देती है। अब उनके रहते हुए भी तुम उनके द्वारा कुछ नहीं देखते हो। जो ऊर्जा उनमें बहती थ

हनुमानासन

हनुमानासन को मंकी पोज (Monkey pose) भी कहते हैं। इस योग मुद्रा में बजरंगबली की मुद्रा में शरीर को मोड़ा जाता है। इस आसन की प्रारंभिक मुद्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि इसमें शरीर को लचीला भी करना होता है। यह आसन जमीन पर आराम से बैठकर किया जाता है और लगातार सांस लेने और छोड़ने का भी अभ्यास किया जाता है। महिलाओं के लिए यह आसन बेहद लाभकारी होता है।

यूं करें हनुमानासन

गर्म पानी पीने से आपके शरीर को

तरल पदार्थों की पूर्ति के लिए आवश्यक पानी मिल सकता है। यह पाचन में भी सुधार कर सकता है, भीड़ से राहत दे सकता है, और यहां तक ​​कि आपको अधिक आराम भी महसूस करा सकता है। ज्यादातर लोग जो समग्र स्वास्थ्य उपाय के रूप में गर्म पानी पीते हैं, वे इष्टतम स्वास्थ्य लाभ के लिए बिस्तर से ठीक पहले सुबह या पहली बार ऐसा करते हैं।

1. नाक की भीड़ से राहत देता है

सर्वांगासन

सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

पादहस्तासन

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।

बिमारियों में योग श्रेष्ठ थेरेपी'

स्वामी विवेकानंद योग रिसर्च फाउण्डेशन के अध्यक्ष डा. एच आर नागेन्द्र ने दावा किया कि मधुमेह, अस्थमा, मोटापा, मानसिक तनाव और उच्च रक्तचाप के लिए योग श्रेष्ठ उपाय है।

महात्मा गांधी अस्पताल और मेडिकल कालेज में आयोजित व्याख्यानमाला और संवाददाताओं से बातचीत में डा. नागेन्द्र ने कहा कि प्रतिदिन एक घंटे सही तरीके से योग करने से इन बीमारियों से सौ प्रतिशत निजात मिल सकती है और आधुनिक दवाइयों से मुक्ति पाई जा सकती है।

नियमित योग करे तन-मन को निरोग : दास

पतंजलि योग समिति ने स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। मुख्य अतिथि विधायक चंदन राम दास ने कहा कि योग आदर्श जीवन जीने को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि योग, प्राणायाम और ध्यान से शरीर और मन को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। अच्छे विचारों का भी मन में समावेश होता है। जिससे समाज को अच्छाई देने की प्रेरणा जागती है। स्वराज भवन में पतंजलि के स्थापना दिवस कार्यक्रम का शुभांरभ विधायक दास और नगरपालिका अध्यक्ष गीता रावल ने दीप जलाकर किया। कार्यक्रम में समिति के पांचों संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता रहे। विधायक ने जिले को योगमय बनाने के लिए समिति के कार्यकर्ताओं की सराहना की। उनकी मेहनत और समर्पण को सम

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।