पवनमुक्तासन करने का तरीका

शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana Yoga) करने का तरीका बहुत आसान है। लेकिन इस आसन का अभ्यास करने में आपको थोड़ी कठिनाई जरूर हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि इस आसन का अभ्यास सही तरीके से किया जाए। आइये जानते हैं पवनमुक्तासन करने का तरीका।

पवनमुक्तासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां

पवनमुक्तासन करने का तरीका, पवनमुक्तासन के फायदे और पवनमुक्तासन करते समय राखी जाने वाली सावधानियों के बारे में पवनमुक्तासन संस्कृत के दो शब्दों पवन (Pawan) और मुक्त (Mukta) से मिलकर बना है, जहां पवन का अर्थ हवा (air) और मुक्त का अर्थ छोड़ना (release) है।जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह आसन पेट के पाचन तंत्र (digestive tract) से अनावश्यक गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए इसे अंग्रेजी में हवा बाहर निकालने का आसन (Wind Releasing Pose) कहा जाता है। पवनमुक्तासन एक उत्कृष्ट आसन है जो अच्छे पाचन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

मत्स्यासन करते समय सावधानियां

चूंकि मत्स्यासन गर्दन और मांसपेशियों (muscles) से जुड़ा हुआ आसन है। इसलिए इस आसन को करते समय विशेष सावधानी की जरूरत होती है।
 यदि आप उच्च अथवा निम्न ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं तो आपको मत्स्यासन करने से बचना चाहिए।
गर्दन में पुरानी चोट या पीठ और कमर में गंभीर दर्द हो तो इस आसन को करने से परहेज करें।
प्रेगनेंसी में मत्स्यासन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह कोख पर अधिक दबाव डालता है और इससे कई परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।
हर्निया (hernia) के मरीजों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हो तो उसे मत्स्यासन नहीं करना चाहिए।

आइये जानें कि मत्स्यासन करने के फायदे क्या हैं

सांस की बीमारी में मत्स्यासन के फायदे – मत्स्यासन करने से अस्थमा रोग के लक्षण कम हो जाते हैं। इसके अलावा यह आसन श्वसन से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में भी फायदेमंद होता है।

मत्स्यासन के फायदे सिरदर्द (Headache) में – गर्दन पर अधिक दबाव  होने के कारण सिर दर्द की समस्या शुरू हो जाती है। इस स्थिति में मत्स्यासन करने से सिर दर्द दूर हो जाता है।

नपुंसकता दूर करने में मत्स्यासन के फायदे – प्रतिदिन इस योगासन का अभ्यास करने से पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ती है एवं नपुंसकता की समस्या दूर हो जाती है।

मत्स्यासन के फायदे

मत्स्यासन का प्रतिदन अभ्यास करने से शरीर के कई विकार दूर हो जाते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह आसन बहुत ही फायदेमंद होता है। इस आसन में गर्दन को पीछे झुकाने की प्रक्रिया(bending process) के कारण गर्दन में स्थित थॉयराइड ग्लैंड बेहतर होती है।

मत्स्यासन के जैसे अन्य आसन

इस आसन की ही तरह और भी आसन हैं जिन्हें आप अपने नियमित योगा रूटीन में शामिल कर सकते हैं और अपने गर्दन और कंधों को तनाव से निजात दिला सकते हैं। ये आसन हैं-

हलासन (Plow pose)
भुजंगासन (Cobra pose)
धनुरासन (Bow pose)
उस्तरासन (Camel Pose)

मत्स्यासन करने का तरीका

फर्श पर चटाई बिछाएं और सीधे होकर बैठ जाएं, इसके बाद अपने दाएं पैर को बाएं पैर के जंघे (thigh) पर और बाएं पैर को दाएं पैर के जंघे पर रखकर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।

मत्स्यासन के फायदे और करने का तरीका

मत्स्यासन एक ऐसा आसन है जिसमें गर्दन और कमर को पीछे की ओर झुकाकर मछली के आकार के पोज में इस आसन का अभ्यास किया जाता है। चूंकि इस आसन में गर्दन को पीछे की ओर झुकाया जाता है इसलिए यह थॉयराइड ग्लैंड पर बेहतर प्रभाव डालता है और मन को ठीक रखने में सहायक होता है। इस लेख में आप मत्स्यासन के फायदे और मत्स्यासन करने का तरीका बताने वाले है मत्स्यासन संस्कृत के दो शब्दों मत्स्य और आसन से संयुक्त रूप से मिलकर बना है। जहां मत्स्य का अर्थ मछली (fish) और आसन का अर्थ आसन (posture) से है। मत्स्यायन को अंग्रेजी में Fish Pose कहा जाता है। मत्स्यासन सभी आसनों की ही तरह शरीर के लिए लाभकारी आसन

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।